बस में हुआ था ‘शाहनवाज़ हुसैन’ को ‘रेनू’ से प्यार-लव स्टोरी को शादी तक पहुंचने में लगे नौ साल

renuनई दिल्ली। बीजेपी लीडर शाहनवाज हुसैन की लव स्टोरी की शुरुआत दिल्ली में तब हुई थी जब वो बस से कॉलेज जाया करते थे ।1986 में जब शाहनवाज हुसैन अपनी ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर रहे थे, वे जिस बस से कॉलेज जाते थे, उसी बस में रेनू भी जाया करती थीं। वह हायर सेकेंडरी की पढ़ाई कर रही थीं। एक ही बस में जाने के कारण दोनों की मुलाकात तो होती थी, लेकिन बातचीत नहीं। शाहनवाज हुसैन धीरे-धीरे रेनू की ओर अट्रैक्ट होने लगे और जल्द ही यह प्यार में बदल गया।
सीट ऑफर करने से शुरू हुआ बातों का सिलसिला
__________________
शाहनवाज का अट्रैक्शन प्यार में बदल चुका था। कॉलेज जाते समय दोनों की बस में मुलाकात हो जाती थी, लेकिन अब तक कोई भी बात नहीं बनी थी। एक दिन ऐसा मौका आया जब बस में शाहनवाज को तो सीट मिल गई, लेकिन रेनू को नहीं, तो उन्होंने अपनी सीट उन्हें ऑफर कर दी। उसके बाद दोनों की जान-पहचान हुई और धीरे-धीरे दोनों की बात होने लगी।
रेनू की फैमिली के बहुत क्लोज हो गए थे शाहनवाज
__________________
बस में मिलने के बाद कुछ दिनों तक दोनों में ऐसे ही बात होती रही। एक दिन शाहनवाज अचानक ही रेनू के घर पहुंच गए और उनके घर वालों से मिले। उसके बाद वो अक्सर रेनू के घर जाने लगे और उनकी फैमिली के क्लोज हो गए, लेकिन अभी भी वो रेनू को अपने दिल की बात नहीं बता पाए थे।
बर्थडे पर कार्ड में लिख कर दिया – ‘Will U be My Life Partner’
__________________
शाहनवाज ने कई बार अपने दिल की बात बताने की कोशिश की, लेकिन वो कह नहीं पाए। एक दिन रेनू के बर्थडे पर उन्होंने एक ग्रीटिंग कार्ड गिफ्ट किया, उसमें लिखा था ‘Will U be My Life Partner’। हालांकि उन्होंने शहनावाज के प्रपोजल को तो एक्सेप्ट नहीं किया, लेकिन उनसे फ्रेंडशिप कर ली।
लव स्टोरी को शादी तक पहुंचने में लगे नौ साल
__________________
शाहनवाज हुसैन ने हार नहीं मानी और अपनी कोशिश जारी रखी। धीरे-धीरे रेनू भी शाहनवाज की ओर अट्रैक्ट होने लगीं और दोनों एक-दूसरे को प्यार करने लगे। हालांकि रेनू एक हिंदू परिवार से थीं और शाहनवाज एक मुस्लिम परिवार से। इस बात की टेंशन हमेशा दोनों को रहती थी, लेकिन इन्होंने अपने रिलेशन को पूरा टाइम दिया। रेरू की फैमिली तो पहले नहीं मान रही थी, लेकिन बाद में उन्होंने इस रिलेशन को स्वीकार कर लिया। शाहनवाज की फैमिली ने उनकी पसंद पर भरोसा किया और पूरी तरह उन्हें सर्पोट किया। इसके बाद दोनों ने 1994 में शादी की।
आज भी आती है पानी पूरी की याद
__________________
शादी के बाद रेनू की एक गर्वनमेंट स्कूल में जॉब लग गई, तो वहीं शाहनवाज अपने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत कर रहे थे। एक इंटरव्यू में रेनू ने बताया था कि शाहनवाज रोज उनका हाथ थामकर उन्हें स्कूल तक छोड़ने जाते थे। उन्होंने बताया था कि उस समय वॉक करते हुए इतना अच्छा लगता था कि हमें कभी गाड़ी की जरूरत नहीं लगी।
याद आती है उस समय की पानी पूरी
__________________
रेणु ने बताया था कि आज भी उस स्कूल जाने के दौरान कभी ना खत्म होने वाली हम दोनों की बातें और चटपटा करती वो पानी पूरी (गोल गप्पे) आज भी याद आती है। अब रास्ते में खड़े होकर दोनों ही पानी पूरी नहीं खा सकते। वो अब अपने करियर में बिजी हैं और मैं अपनी जॉब में। तो क्या हुआ अब दोनों एक-दूसरे को बहुत वक्त नहीं दे पाते। लेकिन आज भी एक-दूसरे को स्पेस देते हैं।
घर में फॉलो करते है दोनों कल्चर
__________________
कविता लिखने की शौकीन रेनू ने इंटरव्यू में बताया था कि हमारे घर में हिंदू और मुस्लिम दोनों कल्चर फॉलो होते हैं। ये एक इत्तफाक ही है कि मेरे मोबाइल नंबर और लैंडलाइन दोनों में ही लास्ट में 786 आता है। मैंने अपनी कविता शाहनवाज की मां पर लिखी है। उन्हें मैं भी अम्मीजान कहती थी।
Share Button

Related posts

Leave a Comment