सुस्त व कमजोर जनाधार वाले वर्तमान उम्मीदवार देशराज अग्रवाल का कट सकता है टिकट
नई दिल्ली (जनमत की पुकार)। पिछले दिनों अपने 17 प्रत्याशियों का टिकट काटकर अन्य उम्मीदवार को देने वाली आम आदमी पार्टी उत्तरी दिल्ली नगर निगम वार्ड नं. 65 (सरस्वती विहार) से वर्तमान प्रत्याशी देशराज अग्रवाल का टिकट भी पार्टी काट सकती है। सूत्रों की मानें तो पार्टी यहां से किसी युवा उम्मीदवार पर दांव लगाना चाहती है। आम आदमी पार्टी की पीएसी (पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी) इन दिनों निगम चुनाव में उतारे गये सभी प्रत्याशियों की पुनः समीक्षा कर रही है। एक विश्वस्त सूत्रों से ट्टजनमत की पुकार’ को पता चला कि सरस्वती विहार वार्ड से पार्टी उम्मीदवार देशराज अग्रवाल को क्षेत्र के लोगों का समर्थन बिल्कुल नहीं मिल पा रहा है। लोगाें की माने तो जनसम्पर्क के दौरान वे लगभग अकेले होते हैं और डोर—टू—डोर कैम्पेन में इन्हें देखते ही लोग अपने घरों के दरवाजे बंद कर लेते हैं।
कुछ लोगों ने दबी जबान में यहां तक बताया कि जो व्यक्ति सीढ़ियों पर दो कदम चलते ही थक जाता हो, वह निगम पार्षद की इतनी बड़ी जिम्मेदारी कैसे उठा पाएगा! वार्ड के मतदाताओं का कहना है कि ऐसे बुजुर्ग को घर बैठकर रिटायरमेन्ट का आनंद उठाना चाहिए और किसी युवा को चुनाव लड़ने का मौका देना चाहिए।
गौरतलब है कि पिछले दिनों ट्टआप’ ने 17 निगम सीटों पर अपने प्रत्याशी बदल दिये थे, जिनके बाद काफी बवाल मचा था। लोगों के अनुसार अब वार्ड नं. 65 के ट्टआप’ प्रत्याशी देशराज अग्रवाल का टिकट कटने की बारी है और पार्टी यहां से किसी और योग्य कार्यकर्ता (वालंटियर) को मौका देना चाहती हैं। वहीं कुछ लोगों ने देशराज अग्रवाल को मात्र पार्टी के लिए फंड इकट्ठा करने वाला एक अदनासा वालंटियर बताया और कहा कि आम आदमी पार्टी के लिए फंड इकट्ठा करने के अलावा इस व्यक्ति ने क्षेत्र के आम लोगों के लिए आजतक कुछ नहीं किया। साथ ही देशराज अग्रवाल की वार्ड के किसी सामाजिक कार्यों में भी भागीदारी ना के बराबर होती है, तो जब यहां के लोगों में इनकी पैठ ही नहीं हैं, तो इन्हें वोट कौन देगा। शकुरबस्ती विधानसभा क्षेत्र के तीन वार्ड रानी बाग, पश्चिम विहार एवं सरस्वती विहार में से मात्र सरस्वती विहार वार्ड में ही आप की जीत संदेह के घेरे में है क्योंकि यहां से आम आदमी पार्टी प्रत्याशी देशराज अग्रवाल कमजोर दिख रहे हैं। इनका मतदाताओं में कोई पकड़ नही है। यही कारण है कि पार्टी यहां से उम्मीदवार बदलने को मजबूर है।