पूर्वाचलियों के बिना नहीं उगेगा सत्ता का सूरज

नई दिल्ली। दिल्ली की सियासत में पारंपरिक तौर पर पंजाब और हरियाणा के लोगों का वर्चस्व रहा है। इस वजह से इनसे संबंधित मुद्दे यहा की राजनीति पर हमेशा से हावी रहे हैं, लेकिन अब यह समीकरण बदलने लगा है। बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश यानी पूर्वाचल के लोगों की तादाद बढ़ने के साथ ही सियासत में भी इनका दखल बढ़ा है। कई क्षेत्रों में ये लोग चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की स्थिति में है। इस सियासी गणित को ध्यान में रखते हुए सभी पार्टियां इन्हें अपने साथ जोड़ने की हरसंभव कोशिश कर रही है।

35 फीसद मतदाता हैं पूर्वाचली:-

एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली में लगभग 35 फीसद मतदाता पूर्वाचल से संबंधित हैं। पहले भी पूर्वाचल के लोग बड़ी संख्या में थे लेकिन बतौर मतदाता पंजीकृत नहीं थे। हाल के वर्षो में जो लोग रोजी-रोजगार की तलाश में दिल्ली आए हैं उनमें से बहुत से लोगों ने अपना नाम मतदाता सूची में शामिल करा लिया है। वहीं, अस्थायी तौर पर दिल्ली में रहने वाले लोग भी बड़ी संख्या में यहा मतदाता पहचान पत्र बनवा रहे हैं। यही वजह है कि यहा की सियासत में इनकी धमक बढ़ रही है। कोई भी दल इन्हें अब नजरअंदाज करने की स्थिति में नहीं है।

कांग्रेस के रहे हैं पुराने समर्थक:-

दिल्ली में रहने वाले पूर्वाचली परंपरागत रूप से कांग्रेस के समर्थक माने जाते रहे हैं, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में इनका यह वोट बैंक आम आदमी पार्टी (आप) के साथ चला गया। कांग्रेस एक बार फिर से इन्हें अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है। पार्टी ने निगम चुनाव में पूर्वाचल के 54 कार्यकर्ताओं को टिकट दिया है।

आप के सामने इन्हें साथ बरकरार रखने की चुनौती

आप को सत्ता तक पहुंचाने में पूर्वाचल के लोगों ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। नगर निगम चुनाव में भी पार्टी ने इनके बीच के 36 कार्यकर्ताओं को टिकट दिया है। पार्टी में 14 विधायक और 2 मंत्री पूर्वाचल से जुड़े हुए हैं। इसके बावजूद पार्टी के सामने अपने इस वोट बैंक को साथ जोड़े रखने की चुनौती है क्योंकि कांग्रेस व भाजपा इसमें सेंध लगाने की तैयारी में है।

भाजपा को उम्मीद, इस बार मिलेगा साथ:-

पूर्वाचलियों के बीच अपना जनाधार बढ़ाने के लिए भाजपा ने भोजपुरी कलाकार और सासद मनोज तिवारी को अपना चेहरा बनाया है। उन्हें आगे कर पार्टी चुनाव लड़ रही है। वे झुग्गी में प्रवास करने के साथ ही अनधिकृत कॉलोनियों में चुनाव प्रचार कर रहे हैं। इन स्थानों पर पूर्वाचल के लोग बड़ी तादाद में रहते हैं। पार्टी ने पूर्वाचल के 32 लोगों को मैदान में उतारा है।

जदयू की कोशिश दिल्ली में बढ़े जनाधार:-

बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से जुड़े लोगों के सहारे जनता दल यूनाइनटेड (जदयू) दिल्ली की सियासत में दखल देने की जुगत कर रही है। पार्टी 100 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इनमें से अधिकाश पूर्वाचल बहुल हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दो दिनों तक रोड शो व चुनावी सभाएं कर चुके हैं। वहीं, उनका वीडियो संदेश भी लोगों तक पहुंचाया जा रहा है।

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