नई दिल्ली। दिल्ली की जनता के हित को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने निर्णय लिया है कि तीनों नगर निगम वर्तमान जोन संरचना के आधार पर ही काम करना शुरू करें। भाजपा नए वार्ड परिसीमन के आधार पर जो पिछले नगर निगम चुनाव के पूर्व किया गया है, जोन संरचना का पुनर्गठन चाहती थी। यह देखा गया कि जोन की संरचना में गंभीर असंतुलन है क्योंकि एक जोन विशेष में आठ वार्ड ही हैं जबकि कुछ जोनों में 35 वार्ड आते हैं। इस कारण वे जोन जिनमें प्रशासनिक अधिकारी जैसे कि जोन उपायुक्त, सहायक आयुक्त जैसा एक ही वरिष्ठ पद है। विभागों के प्रधानों पर अधिक भार है।
परिवेक्षण अधिकारियों या निम्न स्तर के कर्मचारियों पर कार्य का अधिक भार होने से जनकल्याणकारी कार्य निरीक्षण या अनुमोदन के अभाव में धीमे पड़ जाते हैं। अत: निगम सदनों के गठन के पश्चात ही नवनिर्वाचित पार्षदों ने विभिन्न जोनों के गठन का अनुरोध किया था। किसी भी विवाद से बचने के लिए फाइलें दिल्ली सरकार के स्थानीय स्वशासन विभाग को अनुमोदनार्थ भेज दी गई थी।
तिवारी ने कहा कि नगर निगमों ने फाइलें 8 सप्ताह पहले ही भेज दी थीं किन्तु केजरीवाल सरकार ने राजनीतिक द्वेष के कारण इनका अनुमोदन नहीं किया। केजरीवाल सरकार द्वारा अनुमोदन न किए जाने के कारण नगर निगमों के अनेक कार्य ठप हो गए हैं क्योंकि पार्षदों को न तो निधि मिल रही है और न ही कर्मचारी मिल रहे हैं। जोन के निकाय या कानूनी अथवा तदर्थ समितियां भी गठित नहीं हो रही हैं।
तिवारी ने कहा कि दिल्ली भाजपा ने नवनिर्वाचित पार्षदों को वर्तमान जोन संरचना के आधार पर ही कार्य करने के लिए निर्देश देने का निर्णय लिया है जिससे कि यह सुनिश्चित हो सके कि दिल्ली की जनता को नागरिक सुविधाएं मिलती रहें।
उन्होंने कहा है कि मानसून तथा आगामी महीनों में जब डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का प्रकोप होगा, सफाई व्यवस्था करना आवश्यक है। हमनें अपने पार्षदों को कहा है कि वे मच्छर का लार्वा चेक करने वाले कर्मचारियों और निगम के अस्पतालों तथा स्वास्थ्य केंद्रों में सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करें।