स्टेप 1- दोनों पैरों को थोड़ा खोलकर सामने फैलाए। दोनों हाथों को कंधों के समकक्ष सामने उठाकर रखें। फिर दाहिनें हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़े एवं बाएं हाथ को पीछे की ओर ऊपर सीधा रखें, गर्दन को भी बाईं ओर घुमाते हुए पीछे की ओर देखने का प्रयास करें। इसी प्रकार दूसरी ओर से करें। इन दोनों अभ्यासों से कमर दर्द व पेट स्वस्थ होता है तथा कमर की बढ़ी हुई चर्बी दूर होती है, परन्तु जिनको अत्यधिक कमर दर्द है वे इस अभ्यास को न करें।
स्टेप 2- दोनों हाथों से एक दूसरे हाथ की कलाई पकड़कर ऊपर उठाते हुए सिर के पीछे ले जाएं। श्वास अन्दर भरते हुए दाएं हाथ से बाएं हाथ को दाहिनी ओर सिर के पीछे से खीचें। गर्दन व सिर स्थिर रहे। फिर श्वास छोड़ते हुए हाथों को ऊपर ले जाएं। इसी प्रकार दूसरी ओर से इस क्रिया को करें।
स्टेप 3- घुटने और हथेलियों के बल बैठ जाएं। जैसे बैल या बिल्ली खड़ी हो। अब पीठ को ऊपर खिठचें और गर्दन झुकाते हुए पेट को देखने का प्रयास करें। फिर पेट व पीठ को नीचे खिंचे तथा गर्दन को ऊपर उठाकर आसमान में देंखे। यह प्रक्रिया 8-12 बार करें।
एक्सट्रा टिप्स:
आहार संयम : सर्वप्रथम तो अपना आहार बदलें। पानी का अधिकाधिक सेवन करें, ताजा फलों का रस, छाछ, आम का पना, जलजीरा, बेल का शर्बत आदि तरल पदार्थों को अपने भोजन में शामिल करें। ककड़ी, तरबूज, खरबूजा, खीरा, संतरा तथा पुदीने का भरपूर सेवन करें तथा मसालेदार या तैलीय भोज्य पदार्थ से बचें। हो सके तो दो भोजन कम ही करें।
योगासन : प्रतिदिन सवेरे सूर्य नमस्कार का अभ्यास करें। कपालभाति और भस्त्रिका के साथ ही अनुलोम-विलोम करें। खड़े होकर किए जाने वाले योगासनों में त्रिकोणासन, कटिचक्रासन, ताड़ासन, अर्धचंद्रासन और पादपश्चिमोत्तनासन करें।
बैठकर किए जाने वाले आसनों में उष्ट्रासन, अर्धमत्स्येंद्रासन, सिंहासन, समकोणासन, ब्रम्ह मुद्रा और भारद्वाजासन करें। लेटकर किए जाने वाले आसनों में नौकासन, विपरीत नौकासन, भुजंगासन, धनुरासन और हलासन करें। बंधों में जालंधर और उड्डियान बंध का अभ्यास करें।