विनाश से बचाव का रास्ता है अंतदृष्र्टी

-शिबेंदु लाहिड़ी- क्रिया का अर्थ है कर्म और योग का अर्थ है एकीकरण। क्रिया योग विभाजक चेतना के एकीकरण पर बल देता है। हठ योग, राज योग व लय योग का अनूठा समन्वय है क्रिया योग। भय मनुष्य के मन का एक भ्रम है। आप जिससे डरते हैं, उसका सामना करके ही उससे उत्पन्न होने वाले भय को पराजित कर सकते हैं। अगर आप उससे स्वयं को दूर रखते हैं या उससे कतराते हैं तो आपको भय से मुक्ति नहीं मिलेगी। एक बार एक बुद्धिमान व्यक्ति से पूछा गया- आपका गुरु कौन है? उसने उत्तर दिया- कुत्ता। उसने इस उत्तर की व्याख्या करते हुए कहा-मैं एक बार अपने मन में भय लिए नदी किनारे बैठा हुआ था। तभी मैंने देखा कि एक प्यासा कुत्ता पानी पीने के लिए दौड़ता हुआ नदी के पास आया। तभी उसने पानी में अपना प्रतिबिंब देखा और उससे डर गया। फिर कुत्ता भौंका, तो उसका प्रतिबिंब ज्यादा जोर से भौंकते हुए नजर आया। कुत्ता डर कर भाग गया, लेकिन उसकी प्यास इतनी तीव्र थी कि उससे रहा नहीं गया और वह फिर से नदी के पास आया। फिर वैसी ही बात हुई और कुत्ता बिना पानी पिए डर कर भाग गया। कुत्ता तीसरी बार नदी के पास आया और इस बार उसकी प्यास इतनी तीव्र थी कि वह नदी में कूद गया। नदी में उसके कूदते ही उसका प्रतिबिंब गायब हो गया। कुत्ते ने जी भर कर पानी पिया, क्योंकि उसका भय समाप्त हो चुका था। उसकी तीव्र प्यास ने उसे नदी में कूदने को विवश किया और जैसे ही उसने अपने भय से सामना करने का फैसला किया, उसका भय गायब हो गया। इस कहानी का संदेश यह है कि एक पशु भी गुरु की भूमिका में हो सकता है, अगर वह मनुष्य को कोई पाठ पढ़ा पाने में सक्षम है तो। अहंकार या आत्मतुष्टि स्वयं का महिमामंडन है। अगर आपको स्वयं पर अत्यधिक अभिमान है तो आत्मतुष्टि या अहंकार आपको निगल जाएगा। अंतअंतदृष्र्टी अहं से बचने की प्रक्रिया है। यह किसी मनुष्य या वस्तु को बिना किसी झुकाव के या तटस्थ होकर आंकने की प्रक्रिया है। मनुष्यों को आत्मसंतुष्टि के बारे में विचार करने की आवश्यकता है- आत्मतुष्टि उसे विनाश की ओर ले जाती है, लेकिन अंतअंतदृष्र्टी उसे विकास करने और बिना किसी पक्षपात के बेहतर बनने में सहायता प्रदान करती है।167655_1576932578303_1085256540_31251949_1493139_n[1]

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