दिल्ली में कचरा को खुलेआम जलाने से फैलता है प्रदूषण: पर्यावरणविद्

India Air Pollutionदिल्ली में वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गई है। वायु प्रदूषण फैलाने में जहां काफी हद तक आम लोग जिम्मेदार हैं। वहीं, दूसरी ओर इसके लिए प्रशासन कहीं अधिक जिम्मेदार है। एक ओर गांवों में खुलेआम किसान पराली जला रहे हैं। वहीं, शहरों में कचरा निस्तारण के नाम पर प्रशासन द्वारा कूड़े को खुले आम जलाया जा रहा है। कचरे में पॉलिथन की मात्रा अधिक होती है। इस कारण कचरे से निकलने वाला धुआं कहीं अधिक जहरीला होता है। हालांकि कूड़ा निस्तारण के संबंध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अपना दिशा-निर्देश जारी किया हुआ है, लेकिन इन निर्देशों का पालन न तो प्रशासन द्वारा किया जा रहा है और न ही दिल्ली-एनसीआर में रहने वाली आम जनता द्वारा। आलम यह है कि आज दिल्ली-एनीसआर में रहने वाले लोग सांस की कई तरह की बिमारियों से ग्रस्ति हैं। यदि हालात पर जल्दी से काबू नहीं पाया गया तो दिल्ली-एनसीआर लोगों के रहने लायक नहीं होंगे। कचरा जलाना: पर्यावरणविद् विक्रांत तोंगड के अनुसार वायु प्रदूषण के पांच अहम कारण हैं, जिसमें कूड़ा का खुलेआम जलाना सबसे मुख्य कारणों में से एक है। इसके साथ ही औद्योगिक इंकाई से निलने वाला धुआं, निर्माणाधिन साइटों से निकलने वाले धुल के कण और वाहनों से निकलने वाला धुआं के साथ-साथ दिल्ली-एनसीआर में स्थित थर्मल पावर संयंत्र हैं। गाजीपुर लैंडफील में आज भी कूड़े को जलता हुआ देखा जा सकता है। वाहनों के टायर: राजधानी में इस वक्त तकरीबन 20 लाख वाहन है, जिसमें से अधिकांश वाहन हर दिन सड़कों पर उतरती हैं। जानकार बताते हैं कि वाहनों के टायर घिसने से एक खास प्रकार का कण (पीएम2.5) निकलता है। यह कण इतना सुक्ष्म होता है कि नाक के रास्ते फेफड़ा तक पहुंच जाता है। इस कारण लोगों के फेफड़े में संक्रमण की बीमारियों होती हैं। नकेल कसने की जरुरत: पर्यावरणविद् विक्रांत तोंगड का कहना है कि वायु प्रदूषण की समस्या केवल दिल्ली की नहीं है। यह दिल्ली-एनसीआर की समस्या है। इसके समाधान के लिए दिल्ली-एनसीआर के सरकारी प्रतिनिधियों को साथ में मिलकर एक योजना तैयार करने की जरुरत है। गाजियाबाद, फरीदाबाद, नोएडा के अलावा गुडगांव में दर्जनों ऐसे औद्योगिक संयंत्र हैं, जहां से जहरीले धुआं निकल रहा है। यदि ऐसे औद्योगिक इंकाई पर तुरंत से नकेल कसने की जरुरत है

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