एकसमान वार्षिक स्पेक्ट्रम चार्जेज पर टेलीकॉम कंपनियों में दो फाड़ दिखने लगी है। सरकार ने सभी कंपनियों पर समान रूप से 4.5 फीसद की घटी दर से स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज यानी एसयूसी लगाने का प्रस्ताव किया है। इसको लेकर दूरसंचार कंपनियों के दो प्रमुख संगठन आमने-सामने आ गए हैं। एक अध्ययन का हवाला देते हुए सीओएआइ ने कहा है कि एसयूसी में एक फीसद की कटौती से जीडीपी में करीब 1.76 लाख करोड़ रुपये का इजाफा हो सकता है। इसके उलट टेलीकॉम कंपनियों की दूसरी लॉबी ऑस्पी का कहना है कि यदि सीओएआइ की मांग परवान चढ़ी तो सरकार को करीब 1.65 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा। एयरटेल, वोडाफोन, आइडिया सेलुलर जैसे ऑपरेटरों का प्रतिनिधित्व करने वाले सीओएआइ ने सभी टेलीकॉम कंपनियों पर एकसमान एसयूसी की मांग करते हुए दूरसंचार सचिव जेएस दीपक को पत्र लिखा है। लेकिन, इसमें चार्ज को तीन फीसद के स्तर पर रखने को कहा है। उसने बताया है कि मुकेश अंबानी की रिलायंस जियो को छोड़ सभी दूरसंचार कंपनियों ने समान एसयूसी का समर्थन किया है। सीओएआइ के महानिदेशक राजन एस मैथ्यूज ने चार मई को लिखे पत्र में कहा, एक दूरसंचार सेवा प्रदाता को छोड़ पूरे उद्योग का मानना है कि एक समान शुल्क से न केवल समान अवसर पैदा होंगे बल्कि अस्पष्टता दूर होगी। रिलायंस जियो भी सीओएआइ की सदस्य है लेकिन मामले में उसके विचार अलग हैं। सीओएआइ के ताजा कदम पर रिलायंस जियो ने टिप्पणी नहीं की है, लेकिन पूर्व में वह टेलीकॉम ऑपरेटरों पर समान एसयूसी का विरोध कर चुकी है। रिलायंस कम्यूनिकेशंस और टाटा टेलीसर्विसेज जैसी सीडीएमए कंपनियों के संगठन ऑस्पी ने सीओएआइ की मांग का विरोध किया है। उसका कहना है कि एसयूसी दर में एक फीसद की कटौती का प्रस्ताव न केवल पारदर्शिता और समान अवसर उपलब्ध कराने के सिद्धांत के खिलाफ है, बल्कि इससे केवल कुछ कंपनियों को फायदा होगा। ये वे कंपनियां हैं जिन्होंने पूर्व नीलामी में बड़ी मात्रा में स्पेक्ट्रम हासिल किए थे। ऑस्पी के महासचिव अशोक सूद ने कहा कि सभी प्रकार के स्पेक्ट्रम पर एसयूसी के फ्लैट रेट के प्रस्ताव से सरकारी खजाने को 20 साल में 1.65 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा। इसका फायदा सिर्फ उन चंद ऑपरेटरों को होगा जिनके पास बड़ी मात्रा में स्पेक्ट्रम है। दूसरी ओर डेलायट के अध्ययन का हवाला देते हुए सीओएआइ ने कहा है कि एसयूसी में एक फीसद की कटौती से सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में बढ़ोतरी होगी। साथ ही गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की संख्या में 4.7 फीसद की कमी हो सकती है। वर्तमान में सरकार मोबाइल फोन सेवाओं के उपयोग से कंपनियों को होने वाली आय का करीब 4.69 फीसद एसयूसी के रूप में लेती है। दूरसंचार नियामक ट्राई ने एसयूसी समान दर से सभी कंपनियों पर तीन फीसद करने और इसे धीरे-धीरे एक फीसद पर लाने की सिफारिश की है। इससे पहले एसयूसी ऑपरेटर के पास उपलब्ध स्पेक्ट्रम की मात्रा से जुड़ा था और समायोजित सकल आय का 3-8 फीसद के बीच था। सूत्रों के अनुसार दूरसंचार विभाग में तकनीकी समिति ने सभी कंपनियों पर समान रूप से 4.5 फीसद एसयूसी लगाने का सुझाव दिया है। वजह यह है कि 4जी जैसी सेवा के लिए किसी खास स्पेक्ट्रम से उनकी कमाई के बारे में पता लगाना संभव नहीं है।
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