नई दिल्ली। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने स्पष्ट किया है कि सिर्फ संदिग्ध एवं विशेष मामलों में ही रिफंड को रोका जाएगा, जिसमें संबंधित व्यकक्ति की ओर से देश छोड़कर भागने की आशंका प्रमुखता से शामिल है। आपको बता दें कि वास्तविक मामलों में करदाताओं की चिंताओं को दूर करने के प्रयास में वित्त विधेयक 2017 में जांच वाले मामलों में रिफंड के नियमों में थोड़ी ढील दी गई है।
यह जानकारी सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने बजट प्रावधानों का उल्लेख करते हुए दी है। उन्होंने कहा कि आयकर रिफंड को सिर्फ इसलिए नहीं रोका जाएगा कि मामले को जांच के लिए छांटा गया है। वित्त विधेयक 2017 के तहत किसी संदिग्ध मामले में रिफंड तभी रोका जा सकता है जब अधिकारी को लगे कि रिफंड जारी करने का राजस्व वसूली पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
प्रधान आयुक्त या आयुक्त की मंजूरी से आकलन अधिकारी आकलन की तारीख तक रिफंड रोक सकता है। वित्त विधेयक के अनुसार धारा 143 1डी के प्रावधान आकलन वर्ष 2017-18 तथा उसके बाद के आकलन वर्षों के रिटर्न पर लागू नहीं होंगे।
केंद्रीय प्रत्यजक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने संदिग्ध लोगों के बैंक खातों में जमा राशि का पता लगाने के लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिसकी मदद से अब जांच की जाएगी। विभाग ने मंगलवार को ऑपरेशन क्लीन मनी परियोजना की शुरुआत की है, जिसके तहत सीबीडीटी डाटा विश्लेषण और टैक्सपेयर्स का प्रोफाइल तैयार कर उन लोगों को ई-मेल भेजा जाएगा जिनकी 8 नवंबर के बाद नकदी जमाएं उनकी आय से मेल नहीं खाती हैं। राजस्व सचिव ने कहा, “ऑपरेशन क्लीन मनी एक प्रोग्रामिंग सॉफ्टवेयर है, जिसका इस्तेमाल सभी जमाओं पर जवाब प्राप्त करने के लिए किया जाएगा और लोगों से प्रारंभिक जवाबों के बाद ही यदि जरूरत पड़ी तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”