नई दिल्ली। भाजपा हाईकमान के द्वारा मौजूदा निगम पार्षद एवं उनके सगे संबंधियों को टिकट नहीं दिए जाने के एलान के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं के चेहरे खिले-खिले दिखाई दे रहे है। इन सब की वजह कार्यकर्ताओं को लगने लगा है कि अब नए कार्यकर्ताओं को आगे आने का मौका मिल सकेगा। साथ ही इन कार्यकर्ताओं की एक बडी चिंता इस पहलू को लेकर भी है कि कहीं एन वक्त पर निर्णय को बदल तो नहीं दिया जाएगा। वजह पार्टी के सांसदों एवं पूर्व विधायक के द्वारा हस्तक्षेप किया जाना तय है। कहीं सांसद और विधायकों की परिक्रमा करने वाले कार्यकर्ता इसका लाभ उठा ना ले जाए। इस बात का खौफ उन्हें अभी भी उन्हें सता रहा है। कार्यकर्ताओं की मानें तो निगम चुनाव में ये पहला मौका है जब पार्टी हाईकमान ने फरमान सुनाया है कि मौजूदा निगम पार्षद और उनके सगे संबंधियों को टिकट नहीं दिया जाएगा। इस फरमान से प्रदेश कमेटी के द्वारा मौजूदा निगम पार्षदों को अवगत भी करा दिया गया। कार्यकर्ताओं में चिंता इस बात को लेकर है कि पांच राज्यों के चुनाव के दौरान भी फरमान सुनाया गया था कि पार्टी के बड़े नेताओं के सगे संबंधियों को टिकट नहीं दिया जाएगा। इस तरह के लंबे चौड़े दावे किए गए, लेकिन अंतिम क्षणों में जब टिकट वितरण का वक्त आया तो पार्टी के वरिष्ठ नेता सगे संबंधियों का टिकट हासिल करने में कामयाब रहे। जैसे की केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और पार्टी के वरिष्ठ नेता हुकुम सिंह आदि अपने सगे संबंधियों अर्थात बेटे एवं बेटियों को टिकट दिलाने में कामयाब रहे। कहीं उसी तरह दिल्ली निगम के चुनाव में भी वैसा ही ना होने लगे वजह देश की राजधानी दिल्ली में भी अनेक पार्षद ऐसे है जो एन केन प्रकारेण टिकट पाने में कामयाब हो जाते है जैसे की बीबी त्यागी, जितेंद्र चौधरी आदि। जितेंद्र चौधरी विधायक का टिकट भी हासिल करने में कामयाब रहे। ये पहलू अलग है कि उन्हें हार का मुंह देखना पडा था। बीबी त्यागी के द्वारा भी लक्ष्मी नगर विधानसभा सीट से विधायक का टिकट पाने के लिए एडी चोटी का जोर लगाया था। जो खुद को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह का खास मानते है। इसी तरह से पूर्वी दिल्ली नगर निगम की मौजूदा महापौर सत्या शर्मा को भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष का नजदीकी माना जाता है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम में भी कई कर्मचारी ऐसे है जो भाजपा के बड़े नेताओं को अपना खास होने का दावा कर रहे है बल्कि अपनी पत्नी का टिकट पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है। कार्यकर्ताओं का दर्द इस बात को लेकर है कि जब छोटे बड़े कार्यक्रम होते है तो कार्यकर्ताओं को अहम जिम्मेदारी सौंप दी जाती है, लेकिन जब टिकट वितरण का वक्त आता है तो गिने चुने चेहरे टिकट हासिल करने में कामयाब हो जाते है। चाहे विधायक का चुनाव हो अथवा निगम का। घूम फिर कर वहीं गिने चुने चेहरे नजर आते है और कार्यकर्ताओं के हाथों में निराशा ही हाथ लगती है, लेकिन पार्टी के इस निर्णय से सभी कार्यकर्ताओं में जोश दिखाई दे रहा है किइस बार निगम के चुनावों में उनकी भी लाटरी खुल सकती है लेकिन पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह द्वारा जो मौजूदा निगम पार्षद एवं उनके सगे संबंधियों को टिकट ना देने का फरमान सुनाया गया है अगर वह सही साबित होता है तो भाजपा को इससे काफी लाभ होने की उम्मीद है। इस सब के बीच कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर भी चिंता देखने में आ रही है कि कहीं सांसद और विधायक की परिक्रमा करने वाले पुराने लोग ही टिकट पाने में कामयाब ना हो जाए, जैसा कि होता आया है।
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