नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अब दिल्ली में भी मोर्चा संभालेगा। नगर निगम चुनाव में संघ के स्वयंसेवक घर-घर जाकर लोगों से मतदान की अपील करेंगे। वे मतदाताओं को देश के ज्वलंत राष्ट्रीय मुद्दों से अवगत कराते हुए उनसे राष्ट्रीय मुद्दे पर मतदान की अपील करेगे।
संघ पदाधिकारियो को लगता है कि दिल्ली से भी उत्तर प्रदेश जैसा परिणाम आ सकता है, क्योंकि यहां के मतदाता मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के कामकाज और नीतियों को पसंद कर रहे हैं। दूसरे, जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में राष्ट्र की एकता को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों से आम जनमानस चिंतित है।
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित पत्रकार वार्ता से अलग दिल्ली प्रांत के सह संघचालक आलोक कुमार ने बताया कि नगर निगम चुनाव में स्वयंसेवक मतदाता सूची लेकर घर-घर जाएंगे और मतदाताओं से एक जागरूक नागरिक होने के नाते मतदान की अपील करेंगे। उन्होंने कहा कि कैंपस में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाली ताकतों से आम मतदाता चिंतित है और वह इस चुनाव में ऐसी ताकतों को परास्त करने का काम करेगा।
आलोक कुमार ने कहा कि आने वाले वर्षों में केरल तथा पश्चिम बंगाल मे हो रही हिंसा व राष्ट्र विरोधी ताकतों के बढ़ते प्रभाव के विरोध में दिल्ली में कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। पत्रकार वार्ता में प्रांत प्रचार प्रमुख राजीव तुली भी मौजूद रहे।
राम मंदिर पर धर्म संसद के निर्णय के साथ
आलोक कुमार ने कहा कि राम मंदिर विवाद निपटारे के मामले पर संघ धर्म संसद के निर्णय के साथ चलेगा। धर्म संसद अगर कहेगी कि आम राय के लिए बात करनी है तो करेंगे अगर कानून बनाने की मांग करेगी तब भी उसके साथ होंगे। उन्होंने कहा कि राम मंदिर आंदोलन साधू संतो का आंदोलन है। इसलिए वह धर्म संसद के निर्णय के साथ हैं।
सामाजिक समरसता पर होगा जोर
इस वर्ष संघ दिल्ली में दैनिक शाखाओं में वृद्धि के साथ ही सामाजिक समरसता को मजबूत करने पर जोर देगा। युवाओं को राष्ट्रीयता की भावना से जोड़ने पर भी काम करेगा। अभी दिल्ली में संघ की 1805 शाखाएं चल रही हैं। कोयम्बटूर में 19 से 21 मार्च तक चले संघ के अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की तीन दिवसीय बैठक में अगले वर्ष तक 15 फीसद वृद्धि का लक्ष्य तय किया गया है।
खास बात कि बैठक में राष्ट्रवादी विचारधारा पर केंद्रित उत्सव उड़ान की सराहना की गई। पिछले वर्ष भी संघ ने सामाजिक समरसता पर काफी जोर दिया था। दिल्ली में रामलीला मंचन के दौरान 3000 से अधिक रामलीलाओं में भगवान वाल्मीकि की आरती दलित महिलाओं से कराई गई। इसके साथ ही मौजूदा वक्त में 462 सेवा प्रकल्प चल रहे हैं।