नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आज 16 दिसंबर 2012 के सामूहिक दुष्कर्म और हत्याकांड के चार दोषियों की दिल्ली उच्च न्यायालय की ओर से सुनाई गई मौत की सजा को बरकरार रखा। चारों ने उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने मामले पर सुनवाई पूरी करने के बाद फैसला सुनाया।
इस कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और यह निर्भया कांड नाम से चर्चित रहा था। शीर्ष अदालत ने चारों दोषियों-मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह की अपीलों पर 27 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। चारों ने 13 मार्च, 2014 को उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराये जाने और सुनाई गयी मौत की सजा के खिलाफ अपील की थी। साल 2012 में 16 दिसंबर की रात को 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा के साथ दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में जघन्य तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उसे उसके एक दोस्त के साथ बस से बाहर फेंक दिया गया था। उसी साल 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में लड़की की मौत हो गयी थी। दिल्ली पुलिस ने दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग की थी, वहीं बचाव पक्ष के वकील ने कहा था कि गरीब पारिवारिक पृष्ठभूमि के होने और युवा होने की वजह से नरमी बरती जानी चाहिए।