नई दिल्ली । साल 2010 में लक्ष्मीनगर के ललिता पार्क में एक मंजिला इमारत इसी तरह से जमींदोज हो गई थी। इसमें 70 लोगों की मौत हुई थी। इस मामले की जांच में निगम की लापरवाही सामने आई थी, लेकिन निगम के अधिकारियों ने इस हादसे से कोई सबक नहीं लिया।
नतीजतन जी-ब्लॉक की इस चार मंजिला इमारत के खिलाफ हुई शिकायतों पर भी निगम मौन साधे रहा। अब हादसे के बाद मामले की जांच की बात की जा रही है। आस पड़ोस के लोगों ने बताया कि यह इमारत करीब 40-45 साल पुरानी थी। इसमें नया लेंटर भी नहीं डाला गया था।
कुछ साल पहले इसमें दरार आ गई थी। हादसे में जख्मी हुए बलकार के बेटे हरप्रीत सिंह ने बताया कि दरार के साथ ऊपरी मंजिल आगे की तरफ झुक गई थी।
2011 में उन्होंने इसकी शिकायत दी थी तो निगम के अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर जांच की थी और इमारत को खाली करा दिया गया था, मगर इसे गिराया नहीं गया। 2015 में उन्होंने फिर से इसकी शिकायत दी थी, लेकिन इस बार कोई भी कोई कार्रवाई नहीं हुई।
निगम के सूत्रों ने बताया कि 2011 में अधिकारियों ने सर्वे के बाद खाली करा दिया था। इसके बाद आइआइटी, रुड़की से एक इंजीनियरों की टीम बुलाई गई थी। टीम ने सर्वे किया और अपनी रिपोर्ट में इसे खतरनाक स्तर का नहीं बताया। यानी एक तरह से उन्होंने इसे क्लीन चिट दे दी।
निगम के अधिकारियों ने इसके बाद चुप्पी साध ली। हरप्रीत के अलावा स्थानीय निवासियों सुरेश कुमार, अली खान, दिलीप कुमार का भी कहना है कि उन्होंने भी इसकी शिकायत की थी।
इन लोगों ने बताया कि झुकाव की बात को निगम अधिकारी यह कहकर टालते रहे कि किनारे का होने के कारण ऐसा लगता है, जबकि दरार की मरम्मत के लिए कई बार मकान मालिक मुकेश शर्मा को कहा गया, लेकिन मकान मालिक ने उनकी बातों को अनसुना कर दिया।
इस मकान की वजह से बलकार सिंह के मकान में भी दरार आने लगी थी, उन्होंने समय रहते इसकी मरम्मत करा ली थी। स्थानीय लोगों ने बताया कि इमारत के भूतल पर टायर की दुकान है, जिसमें कई लोग काम करते हैं। हादसा दिन में होता तो कई जानें जा सकती थीं।
वहीं हादसे के शिकार मोहन शर्मा ने बताया कि उन्हें लगा कि भूकंप आया है। बच्चे और पत्नी जब चिल्लाने लगे तो उन्होंने उन्हें समझाते हुए कहा कि घबराने की जरूरत नहीं है।