- यशपाल बंसल (उपसंपादक)
नई दिल्ली : भारत की आजादी की लड़ाई में क्रांतिकारी के रूप में अपना नाम दर्ज कराने वाले उधम सिंह ने जलियांवाला बाग कांड का बदला अलग ही अंदाज में लिया था. उन्होंने लंदन जाकर गवर्नर माइकल ओ’ड्वायर को गोली मारी थी, जिसके बाद उन्हें 31 जुलाई 1940 के दिन लंदन के कॉक्सटन हॉल में फांसी की सज़ा सुनाई गई थी.
फांसी से पहले जब उनसे आखिरी इच्छा पूछी गई तब उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा गवर्नर को गोली मारने की थी जो उन्होंने पूरी कर ली. 1919 में हुए जलियांवाला बाग कांड से उधम सिंह काफी आहत हुए थे इसलिए उन्होंने कांड के वक्त पंजाब के गर्वनर जनरल रहे माइकल ओ’ ड्वायर को मारने का निश्चय लिया.
उधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गांव में काम्बोज परिवार में हुआ था. सन 1901 में उधमसिंह की माता और 1907 में उनके पिता का निधन हो गया. इस घटना के चलते उन्हें अपने बड़े भाई के साथ अमृतसर के एक अनाथालय में शरण लेनी पड़ी. उधमसिंह का बचपन का नाम शेर सिंह और उनके भाई का नाम मुक्तासिंह था जिन्हें अनाथालय में क्रमश: उधमसिंह और साधुसिंह के रूप में नए नाम मिले.
अनाथालय में उधमसिंह की जिन्दगी चल ही रही थी कि 1917 में उनके बड़े भाई का भी देहांत हो गया. वह पूरी तरह अनाथ हो गए. 1919 में उन्होंने अनाथालय छोड़ दिया और क्रांतिकारियों के साथ मिलकर आजादी की लड़ाई में शमिल हो गए. उधमसिंह अनाथ हो गए थे, लेकिन इसके बावजूद वह विचलित नहीं हुए और देश की आजादी और ओ’ड्वायर को मारने की अपनी प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए लगातार काम करते रहे.