नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का पूजा की जाती है। मां चंद्रघंटा का रूप बहुत ही सौम्य है। मां को सुगंधप्रिय है। उनका वाहन सिंह है। उनके दस हाथ हैं। हर हाथ में अलग-अलग शस्त्र हैं। वे आसुरी शक्तियों से रक्षा करती हैं। मां चंद्रघंटा की आराधना करने वालों का अहंकार नष्ट होता है और उनको सौभाग्य, शांति और वैभव की प्राप्ति होती है।
ऐसा है मां का स्वरुप:
मां दुर्गा के तीसरे स्वरुप का नाम चंद्रघंटा है। इनके मस्तक में घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। मां चंद्रघंटा सिंह पर विराजती हैं। मां चंद्रघंटा देवी का स्वरूप सोने के समान कांतिवान है। देवी मां की दस भुजाएं हैं और दसों हाथों में खड्ग, बाण है। मां चंद्रघंटा के गले में सफेद फूलों की माला रहती है।
पूजन का मंत्र:
पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।।
किस रंग के पहनें कपड़े और क्या चढ़ाएं प्रसाद:
देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए श्रद्धालुओं को भूरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मां चंद्रघंटा को अपना वाहन सिंह बहुत प्रिय है और इसीलिए गोल्डन रंग के कपड़े पहनना भी शुभ है। इसके अलावा मां सफेद चीज का भोग जैसै दूध या खीर का भोग लगाना चाहिए। इसके अलावा माता चंद्रघंटा को शहद का भोग भी लगाया जाता है।