नई दिल्ली। 11वें इंडिया एनर्जी समिट में दिल्ली सरकार के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि देश में इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर को कॉम्पलेक्स बना दिया गया है। यहां बिजली बनाने और बेचने के अलग-अलग रेट हैं। काफी पढ़कर समझने का प्रयास किया, लेकिन समझ नहीं आया। यदि 6 साल के बच्चे को 2 मिनट में कुछ नहीं समझा सकते, तो गड़बड़ है।
राजनेताओं और क्रॉनी कैपिटल के बीच गहरी गठजोड़ है। जैन ने कहा कि जब वे नये-नये मंत्री बने, तो केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की। उनके पास एक चिट्ठी लेकर गया कि हमें बिजली महंगी मिलती है और 2265 मेगावाट बिजली सरेंडर करनी है।
इस पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दिल्ली ब्लैक आउट हो जाएगी। मैंने कहा कि उसकी चिंता मुझ पर छोड़ दो, लेकिन केंद्र ने इनकार कर दिया। समिट में मंत्री ने कहा कि अमरीका से महंगी बिजली देश में मिल रही है।
उन्होंने कहा कि बिजली सेक्टर में पारदर्शिता लाई जाएगी, तो देश का विकास तेजी से होगा। भारत में 2.5 लाख मेगावाट बिजली बनाने की क्षमता है। देश की अधिकतम मांग 1.5 लाख मेगावाट से भी कम है। इसके बावजूद नए प्लांट लगाने की बात होती है। उद्योगों को 10 रुपए यूनिट में बिजली दी जाती है। जैन ने कहा कि इस पर रोक लगनी चाहिए और 5 रुपए से कम में इंडस्ट्री को बिजली देनी चाहिए।
आज के जमाने में किसी सेक्टर में गारंटी नहीं मिलती है। जब मोबाइल फोन की शुरुआत हुई, तो 16 रुपए इनकमिंग शुल्क होता था। आज फ्री हो गई है। डिमांड भी बढ़ गई है। कॉल रेट सस्ते हो गए और मोबाइल सेक्टर भी बर्बाद नहीं हुआ है।