नई दिल्ली।शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल के डॉक्टरों ने जिस ¨जदा नवजात को पांच दिन पहले मृत घोषित कर दिया था, उसने बुधवार को पीतमपुरा के अग्रवाल अस्पताल में दम तोड़ दिया। नवजात की मौत से गुस्साए परिजनों ने मैक्स अस्पताल पर प्रदर्शन किया और आरोपी डॉक्टर की गिरफ्तारी की मांग की।
पीतमपुरा स्थित अग्रवाल अस्पताल के प्रबंध निदेशक डॉ. संदीप गुप्ता ने बताया कि बच्चे ने आज दोपहर करीब बारह बजे अंतिम सांस ली। बच्चे को तीस नवंबर को इस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पहले ही दिन से उसकी हालत ठीक नहीं थी। डॉक्टर उसे बचाने का हर संभव प्रयास कर रहे थे, लेकिन उसके अधिकतर अंगों ने काम करना बंद कर दिया था। उधर, मैक्स अस्पताल में भर्ती नवजात की मां को जब बच्चे की मौत की सूचना मिली तो उसने परिजनों के पास जाने की जिद की। मगर अस्पताल प्रशासन बिना छुंट्टी दिए इसके लिए इजाजत देने को तैयार नहीं था। देर शाम नवजात की मां को छुट्टी दे दी गई जिसके बाद परिजन उसे घर ले गए।
#Delhi: Relatives of the twins declared dead by Max Hospital in Shalimar Bagh on 1st December, sit in protest outside hospital building. One of the child who was later found alive by the family, passed away during treatment at a hospital in Pitampura today. pic.twitter.com/KN5KhpirtS
— ANI (@ANI) December 6, 2017
यह है मामला
अमन विहार निवासी प्रवीण कुमार के अनुसार उनकी बेटी वर्षा की शादी निहाल विहार निवासी आशीष से तीन साल पूर्व हुई थी। वर्षा करीब 22 हफ्ते की गर्भवती थी। उसे 27 नवंबर की रात पेट में दर्द होने पर पश्चिम विहार के अट्टम नर्सिग होम में भर्ती कराया गया। अगले दिन उसकी हालत ज्यादा बिगड़ने पर उसे 28 नवंबर को दिन के करीब 12 बजे मैक्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जांच के क्रम में डॉक्टरों ने वर्षा को रक्तस्त्राव होने की जानकारी देते हुए एक इंजेक्श्न लगाने की बात कही।
प्रवीण के मुताबिक अस्पताल की ओर से 29 नवंबर को परिजनों को बताया कि वर्षा को फिर से रक्तस्त्राव शुरू हो गया है, जो रुक नहीं रहा है। ऐसे में डिलीवरी करनी होगी। अगले दिन 30 नवंबर की सुबह साढ़े सात बजे उनकी बेटी ने एक बेटे को जन्म दिया। इसके बाद 7. 42 बजे वर्षा ने एक बेटी को भी जन्म दिया। जिसे डॉक्टर ने मृत बता दिया। इसके बाद उन्हें कहा कि जिंदा बच्चा चूंकि 22 हफ्ते का है और समय पूर्व उसकी डिलीवरी हुई है। उसे एनआइसीयू में रखना होगा। इसके लिए उन्हें प्रतिदिन के हिसाब से एक लाख रुपये देने होंगे और तीन महीने तक एनआइसीयू में रखने पर करीब 50 लाख का खर्च आएगा।
भारीभरकम खर्च के कारण परिजनों ने असमर्थता जता दी। इसके बाद दिन के करीब डेढ़ बजे परिजनों को बताया कि बेटे की भी मौत हो गई है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन ने दोनों बच्चे को पैकेट में बंद कर परिजनों को सौंप दिया गया।
इसके बाद बच्चे के नाना व पिता दोनों को ऑटो से लेकर अंतिम संस्कार के लिए जा रहे थे कि रोहिणी मधुबन चौक के पास एक पैकेट के अंदर बच्चे में हलचल हुई तो प्रवीण ने तुरंत पैकट खोलकर देखा तो बच्चा ¨जदा निकला। वे उसे तुरंत पास के पीतमपुरा स्थित अग्रवाल नर्सिग होम लेकर गए। जहां जांच के बाद डॉक्टरों ने भी बच्चे को ¨जदा बताते हुए भर्ती कर लिया।