अहमदाबाद। गुजरात के स्वास्थ्य राज्य मंत्री शंकर चैधरी भी फर्जी डिग्री विवाद में फंस रहे हैं। शंकर चैधरी तीसरी बार भाजपा की टिकट पर विधानसभा में चुने गए हैं। एक सामाजिक कार्यकर्ता फरसु गोकलाणी ने गुजरात हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उन्होंने राधनपुर के उस स्कूल से, जहां चैधरी पढ़े थे, उससे सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी। मुहैया जानकारी के मुताबिक, चैधरी ने 1987 में 10वीं की परीक्षा पास की थी। फिर उन्होंने 12वीं की परीक्षा 2011 में पास की थी। 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में चुनाव आयोग में चैधरी ने जो हलफनामा दायर किया था, उसके मुताबिक उन्होंने अपनी शिक्षा एमबीए बताई थी। अब याचिकाकर्ता का कहना है कि ऐसा संभव नहीं है कि कोई व्यक्ति साल 2011 में 12वीं की परीक्षा पास करे और एक साल के भीतर यानि 2012 में एमबीए भी हो जाए। इसे लेकर ही उन्होंने याचिका की है। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को शंकर चैधरी और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दिया है और इस मामले की अगली सुनवाई 29 अक्तूबर तय की गई है। इस बीच कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी इस मामले में जांच के आदेश दिए हैं। शंकर चैधरी ने छक्ज्ट से कहा है कि ये सभी आरोप फर्जी हैं, लेकिन उन्हें जो भी कहना है वो तफसील से कोर्ट में अपना पक्ष रखेंगे। ये मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे पहले दिल्ली में आम आदमी पार्टी के मंत्री भी फर्जी डिग्री मामले में फंस चुके हैं। अगर गुजरात के मंत्री अपना दामन नहीं बचा सके तो इससे भाजपा की राज्य सरकार की छवि पर भी असर पड़ सकता है।
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