करूणानिधि ने अकादमी पुरस्कार लौटाए जाने पर केंद्र की आलोचना की

चेन्नईka। साहित्य अकादमी का अपना-अपना पुरस्कार लौटा रहे लेखकों के मुद्दे पर केंद्र की चुप्पी की आलोचना करते हुए द्रमुक प्रमुख एम करूणानिधि ने आज कहा कि यह उदासीन रवैया अन्याय और इतिहास का काला अध्याय है। विरोध में अपना खिताब लौटाने वाली नयनतारा सहगल और अन्य लेखकों की सूची देते हुए करूणानिधि ने कहा कि केंद्र या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से अब भी कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है जो अफसोस का विषय और निंदनीय है। द्रमुक प्रमुख ने कहा कि कई लेखकों ने अपने पुरस्कार लौटा दिए और कवि सच्चिदानंदन ने यह आरोप लगाते हुए अपना अकादमी पद छोड़ दिया कि साहित्यकारों का यह मंच लेखकों के पक्ष में खड़ा होने और अभिव्यक्ति की आजादी बुलंद करने में नाकाम रहा है। करूणानिधि ने कहा, जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और भारत का बहुलवाद खतरे में है और इसे रोकने की शक्ति रखने वाले लापरवाह हैं तो यह केवल नाइंसाफी ही नहीं बल्कि इतिहास का एक काला अध्याय भी होगा। उन्होंने कहा कि निष्पक्ष रहने वाले सभी लोग समझते हैं कि जहां राय जाहिर करना जरूरी है, भाजपा शासन मौन साधे रहती है। द्रमुक प्रमुख ने कहा, भगवा पार्टी जब केंद्र में सत्ता में आयी थी तो अपेक्षा थी कि वह हिंदुत्व से दूर रहेगी। उन्होंने कहा, ऐसा प्रतीत हो रहा कि अकादमी प्रबंधन को लगता है कि अगर वह इस मुद्दे पर कोई बयान देता है तो उससे केंद्र नाराज हो सकता है।

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