स्वतंत्रता दिवस समारोह में संस्कृत-संस्कृति संरक्षण का संकल्प

clipart-indian-flag-256x256-d351नई दिल्ली। राष्ट्रोदय फाउंडेशन द्वारा पश्चिमी दिल्ली के विकासपुरी क्षेत्र में स्वतंत्रता दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर स्थानीय नागरिक सहित गणमान्य लोग उपस्थित थें। समारोह में स्कुली बच्चों द्वारा रंगारंग राष्ट्रीय गीत एवं संस्कृत श्लोक का पाठ किया गया। संस्कृत सप्ताह के तीसरे दिन स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।
समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में ब्राह्मण सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं सजल संदेश संस्कृत समाचार पत्र के संपादक संस्कृत पुत्र पं. राकेश कुमार मिश्रा ने कहा कि आजादी के 70 वर्षगांठ पर सभी देशवासियों की हार्दिक शुभकामनाएं। कठिन परिश्रम, त्याग, तपस्या, बलिदान के बाद 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ आज हमें खुली हवा में, प्रेम, सौहार्द, भाईचारा के साथ अपने विचार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। आजादी के 70 साल बाद भी लार्ड मैकाले के दूषित शिक्षा नीती के कारण हम वैचारिक गुलामी की ओर बढ़ते जा रहे है। आज के दौर में संस्कृत-संस्कृति निरंतर पतन के रास्ते पर जा रहा है। यह समय की मांग है कि हम अपनी प्राचीन गौरवमयी संस्कृति एवं देवभाषा संस्कृत को जन-जन तक पहुंचाये। यह अत्यन्त हर्ष का बिषय है कि एक तरफ भारत सरकार 12-18 अगस्त तक ‘भारत पर्व’ मना रही है। और इसी दिवस में ‘संस्कृत सप्ताह’ का आयोजन किया जा रहा है। संस्कृत और संस्कृति के बिना भारत अपने पुराने गौरव को नहीं प्राप्त कर सकता। संस्कृत पुत्र ने कहा कि संस्कृत कोई जाति, धर्म, क्षेत्र, राष्ट्र की भाषा नही है। यह तो सार्वभौमिक भाषा है। दुनिया के 97 प्रतिशत भाषा की उत्पत्ति संस्कृत से ही हुई है। संस्कृत सम्पूर्ण विश्व को एकसूत्र में पिरोने में सक्षम है। पं. राकेश कुमार मिश्रा ने कहा के अपने उद्भव देश में राजनीतिक, समाजिक षडयंत्र के कारण संस्कृत लगातार पतन के रास्ते पर बढ़ता जा रहा है। कुछ तथाकथित लोंगो द्वारा एक अभियान चलाकर संस्कृत को समाप्त करने का प्रयास किया जा रहा है। संस्कृत के नाम पर जीविकोपार्जन करने वाले लोग अनेक तरह के भ्रम फैलाकर भोले-भाले लोंगो को गुमराह कर रहे है। समारोह में उपस्थित करीब दो सौ लोगों को संस्कृत पुत्र द्वारा संकल्प दिलाया कि वे संस्कृत-संस्कृति के संरक्षण-संवर्द्धन के लिए कार्य करेगें। संस्कृत पुत्र ने कहा कि एक विश्व व्यापी भाषा को क्षेत्र-जाति-पार्टी में बांटना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का संस्कृत-संस्कृति संरक्षण अभियान स्वागत योग्य है, लेकिन कुछ तथाकथित संस्कथित संस्कृतप्रेमी इसे सरकार के महत्वपूर्ण पद पर बैठकर ध्वस्त करने का प्रयास कर रहे है। इस अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने के साथ ही बच्चों में संस्कृत की भावना विकसित करने के लिए बाल संस्कृत साहित्य का वितरण किया। सभा की अध्यक्षता राष्ट्रोदय फाउंडेशन के संस्थापक नरेन्द्र कुमार ने किया।
Share Button

Related posts

Leave a Comment