उपराज्यपाल सचिवालय में विज्ञापनों की निगरानी के लिए विशेष अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जाए

vijendr-guptaदिल्ली सरकार द्वारा सर्वाच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने वाले विज्ञापनों पर खर्च 18.64 करोड़ रूपये वसूलने के आदेश जारी करें उपराज्यपाल :  विजेन्द्र गुप्ता
नयी दिल्ली। दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री विजेन्द्र गुप्ता ने उपराज्यपाल से मांग की है कि वे सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के तहत केन्द्र सरकार द्वारा सरकारी विज्ञापनों की विषयवस्तु की निगरानी के लिए गठित समिति के निर्णय के आलोक में दिल्ली सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय द्वारा तय किए गए दिशा निर्देशों का उल्लंघन करके जनधन का 18.64 करोड़ रूपये की वसूली आम आदमी पार्टी से करने के तुरंत आदेश जारी करें।
उन्होंने मांग की है कि उपराज्यपाल इन विज्ञापनों को जारी करने वाले अधिकारियों तथा राजनेताओं की जिम्मेदारी फिक्स कर उनके खिलाफ दण्डात्मक कार्यवाही भी करें ताकि भविष्य में दिल्ली सरकार अपने मुख्यमंत्री तथा अन्य मंत्रियों की छवि चमकाने के लिए जनता को गुमराह करने वाले विज्ञापन न जारी करे। उनकी मांग है कि दिल्ली सरकार कोई भी विज्ञापन जारी करने से पहले उपराज्यपाल सचिवालय की अनुमति ले ताकि सरकार की फिजूलखर्ची तथा मनमानी पर अंकुश लगाया जा सके। उपराज्यपाल सचिवालय में विज्ञापनों को जारी करने से पहले उनकी विषयवस्तु की जांच के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी जाए।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने बजट में विज्ञापन मद में 526 करोड़ रूपये खर्च करने का प्रावधान किया। पिछले लगभग डेढ़ साल में इस सरकार ने अनेक विज्ञापन आम आदमी पार्टी के प्रचार प्रसार तथा अपने नेताओं की छवि जनता में चमकाने के लिए जारी किए हैं, जिनसे आम आदमी का कोई भला नहीं हुआ बल्कि इन विज्ञापनों द्वारा जनता को गुमराह किया गया।
अबतक दिल्ली सरकार ने लगभग 150 करोड़ रूपये का विज्ञापन जारी किया है। इनमें से अनेक विज्ञापन दिल्ली से बाहर के राज्यों के अखबारों और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में जारी किए गए ताकि आम आदमी पार्टी, मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल का प्रचार प्रसार जनता का धन खर्च करके सारे देश में हो सके। इसकी शिकायत केन्द्र सरकार द्वारा पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त भारत बी बी टंडन की अध्यक्षता में गठित त्रि सदस्यीय समिति से की गई थी। समिति ने ऐसे विज्ञापनों को जारी करने का औचित्य जानने के लिए 26 मई 2016, 13 जून 2016 तथा 23 जून 2016 दिल्ली सरकार को नोटिस देकर अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा। सरकार ने समिति को जवाब दिया कि वह अपने विज्ञापनों की विषयवस्तु की जांच के लिए दिल्ली सरकार स्तर पर निगरानी पैनल गठित करने जा रही है। इसके बाद भी सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों का पालन करने के लिए दिल्ली सरकार स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया और सर्वोच्च न्यायालय की बराबर अवमानना करते हुए मनमाने और जनता को गुमराह करने वाले विज्ञापन जारी करती रही।
केन्द्र सरकार द्वारा गठित त्रि सदस्यीय विषयवस्तु निगरानी समिति के अध्यक्ष बी बी टंडन, टी वी पत्रकार रजत शर्मा और विज्ञापन विशेषज्ञ पीयूष पाण्डेय ने सर्वसम्मति से दिल्ली सरकार के खिलाफ निर्णय सुनाया है। इसके अनुसार दिल्ली सरकार द्वारा सर्वाच्च न्यायालय के दिशा निर्देशों का उल्लंघन करके जारी किए गए मनमाने तथा गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर खर्च किए गए 18.64 करोड़ रूपये सरकारी खजाने में आम आदमी पार्टी की ओर से जमा कराए।

 

Share Button

Related posts

Leave a Comment