आप की मीनू मल्होत्रा और निर्दलीय आरती गर्ग के मुख्य मुकाबले में कांग्रेस व भाजपा पहुंची बैकपुट पर

नई दिल्ली (जनमत की पुकार) पिछले लगभग एक माह से दिल्ली में चल रहे चुनावी शोर का शुक्रवार को अतिम दिन था, जब दिल्ली नगर निगम चुनाव का प्रचार थम गया और इसी के साथ उम्मीदवारों की जीत मतदाताओं के दिलों में कैद होकर रह गई। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के कोहाट (महिला) वार्ड नं. 68 में भाजपा के साथ ही ट्टआप’ और कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए खूब हाथ—पैर मारे। बाईक रैली, रोड शो, जनसभाएं एवं डोर टू डोर पदयात्राएं कर उम्मीदवारों ने अपने पक्ष में मतदाताओं को एकजुट करने की कोशिश की।
वहीं जीत के समीकरण की बात करें, तो यहां मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी प्रत्याशी मीनू मल्होत्रा एवं निर्दलीय आरती गर्ग के बीच माना जा रहा है। जबकि कांग्रेस और भाजपा अपनी पार्टी संबंधी विपरीत गतिविधियों के कारण कोहाट वार्ड में हाशिये पर नजर आ रहे हैं। वहीं कोहाट वार्ड से आम आदमी पार्टी की जीत के पीछे दिल्ली सरकार द्वारा आम लोगों की भलाई के लिए किये गये कार्य हैं। क्षेत्र में खुलेआम लोग केजरीवाल सरकार के बिजली, पानी की सुविधा के साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र में किये गये सुधारों की चर्चा कर रहे हैं। लोगों का साफ कहना है कि उन्हें ट्टआप’ सरकार के बिजली हाफ और पानी माफ स्कीम से फायदा हुआ है और आगे चुनाव जितने पर आम आदमी पार्टी हमारा हाउस टैक्स भी माफ करेगी, तो हम दूसरी पार्टियों की तरफ क्यों जायें।
इसकेे साथ ही निर्दलीय आरती गर्ग की बात करें, तो वे पिछले लगभग दो दशक से कोहाट वासियों की सेवा करती आ रही हैं। पूर्व कांग्रेस नेत्री को जब पार्टी ने टिकट नहीं दिया, तो निर्दलीय मैदान में उतरीं और आज पूरे दम—खम के साथ सभी दलों को पटकनी देने की स्थिति में हैं। पहले से ही यहां के वैश्य समाज पर पकड़ रखने वाली आरती के समर्थकों की संख्या उस समय बढ़ गयी, जब भाजपा ने यहां से किसी वैश्य उम्मीदवार को मौका नहीं दिया। इस प्रकार दूसरे समाज के मतदाताओं का पहले से ही समर्थन पा रहीं आरती के खेमें में बचे—खुचे वैश्य मतदाता भी शामिल हो गये।
चुनाव विशेषज्ञों की मानें, तो कोहाट में भारतीय जनता पार्टी का माहौल बनाने के लिए ‘मोदी लहर’ के अलावा उसके पाले कुछ नहीं है। वहां के निवासियों के अनुसार पिछले दस वर्षों से भाजपा के कब्जे में रही कोहाट में अबतक विकास का कोई ठोस कार्य नहीं कराया गया। दूसरी तरफ वैश्यों की पारंपरिक सीट रही कोहाट में वैश्य समुदाय को टिकट नहीं दिये जाने से भाजपा उम्मीदवार यहां भाड़े के समर्थकों के सहारे हैं।
जबकि कांग्रेस पार्टी की हालत भी यहां से ठीक नहीं कही जा सकती। एक तो पार्टी का सांगठनिक कलह और ऊपर से कोहाट में वर्षों पुरानी कर्मठ कार्यकर्ता आरती गर्ग (अब निर्दलीय उम्मीदवार) का टिकट काटकर अन्य को देना कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रहा है।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि कोहाट में मुख्य मुकाबला केजरीवाल के काम के बल पर ट्टआप’ प्रत्याशी मीनू मल्होत्रा एवं अपनी 17 वर्षों की सेवा की बदौलत जीत की आशा पाली निर्दलीय आरती गर्ग के बीच ही है। जबकि कांग्रेस और भाजपा यहां कई कारणों में बैकपुट पर नजर आ रही है।

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