नई दिल्ली। बवाना विधानसभा उपचुनाव आम आदमी पार्टी (आप) के लिए नाक का सवाल बन गया है। ‘आप’ ने इस सीट को जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित पूरे मंत्रिमंडल का ध्यान बवाना पर है। सभी की अलग अलग सभाएं, पदयात्राएं व घर-घर जाकर लोगों से मिलने के कार्यक्रम तक तय किए गए हैं। ‘आप’ के दिल्ली संयोजक व श्रम मंत्री गोपाल राय पिछले आठ दिनों से बवाना में डेरा डाले हुए हैं।
वहीं, ‘आप’ के नेताओं व कार्यकर्ताओं को पांच से दस गुटों में अलग-अलग क्षेत्रों में प्रचार करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इनके अलावा ‘आप’ ने अपने अधिकतर विधायकों को भी प्रचार में उतार दिया है। सोमवार को भी ‘आप’ के 20 से 25 विधायक ‘आप’ उम्मीदवार के पक्ष में वोट मांगेंगे।
जनता के बीच ‘आप’
इस चुनाव को लेकर दिल्ली सरकार ने 23 अगस्त तक के लिए अन्य सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए हैं। इस चुनाव में ‘आप’ की ओर से लगातार भाजपा प्रत्याशी को लेकर मुद्दा उठाया जा रहा है। बवाना क्षेत्र के शहरीकृत गांवोंं में विकास की गंगा बहाने की योजना का गणित भी ‘आप’ वहां की जनता को विस्तार से समझा रही है।
‘आप’ नेताओं का चुनावी गणित
‘आप’ नेताओं का कहना है कि दिल्ली में जब भी वोटिंग 60 फीसद से अधिक गई है परिणाम पार्टी के पक्ष में आए हैं। 2013 में 65 फीसद मतदान हुआ था उस समय पार्टी को 28 सीटें मिली थीं। वहीं 2015 में यह आंकड़ा बढ़कर 75 फीसद पहुंच गया। इस दौरान पार्टी ने 67 सीटें जीतीं। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि इस बार भी हम विश्वास कर रहे हैं कि वोटिंग 65 फीसद से अधिक ही होगी।