पटना। महागठबंधन से नाता तोड़ भाजपा से हाथ मिलाने के बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के फैसले पर शनिवार को जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और फिर राष्ट्रीय परिषद ने मुहर लगा दी। अब जदयू विधिवत रूप से राजग का हिस्सा बन गया है। पार्टी ने संकेत दिए कि केंद्र सरकार में भी जदयू जल्द शामिल हो सकता है। 1, अणे मार्ग में हुई इस बैठक में शरद यादव को पार्टी से निकालने की मांग भी उठी। यह फैसला हुआ कि अगर शरद यादव 27 अगस्त को गांधी मैदान में आयोजित राजद प्रमुख लालू प्रसाद की रैली में शामिल होंगे तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
बैठक की जानकारी देते हुए जदयू के प्रधान राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि जदयू में कोई टूट नहीं है। पार्टी के 71 विधायक और 30 विधान पार्षद नीतीश कुमार के फैसले के पक्ष में हैं। 19 राष्ट्रीय पदाधिकारियों में से 16 बैठक में उपस्थित थे। 22 राज्यों में ज़दयू की इकाई है, जिसमें से 16 राज्यों के अध्यक्ष बैठक में मौजूद थे। जबकि केरल की इकाई ने वाम मोर्चा के साथ जाने का फैसला किया है। वहीं, महाराष्ट्र जदयू के अध्यक्ष अपने बेटे के इलाज के लिए लंदन गए हुए हैं।
राज्यसभा में संसदीय दल के नेता आरसीपी सिंह, राज्यसभा सदस्य पवन वर्मा एवं हरिवंश सिंह व राष्ट्रीय सचिव रवींद्र सिंह की मौजूदगी में त्यागी ने बताया कि नीतीश कुमार को राजग का संयोजक बनाए जाने संबंधी कोई प्रस्ताव अभी नहीं आया है। इस संबंध में जदयू और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्षों के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोई फैसला लेंगे।
यह पूछे जाने पर कि क्या जदयू केंद्र की सरकार में भी भागीदार बनेगा, त्यागी ने कहा कि जदयू अब राजग का हिस्सा है। ऐसा कोई ऑफर आया तो क्या एतराज हो सकता है? त्यागी ने कहा कि अगर 27 अगस्त को राजद की रैली में शरद यादव शामिल होंगे तो वे लक्ष्मण रेखा क्रॉस करेंगे। साथ ही वह अपनी गरिमा और रुतबा भी नष्ट कर देंगे। वैसे भी उनके रवैये को देख कर लगता है कि उन्होंने जदयू को स्वेच्छा से त्याग दिया है। वह भ्रष्टाचार में लिप्त राजद के साथ खड़े हैं।
राजद के शीर्ष नेताओं पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग आदि कार्रवाई कर रहा है। धर्मनिरपेक्षता की बातें करने वाले वह दिन याद करें जब वीपी सिंह की सरकार थी और नीतीश कुमार मंत्री थे। लालकृष्ण आडवाणी रथ यात्रा लेकर निकले थे, लेकिन धर्मनिरपेक्षता से हम लोगों ने समझौता नहीं किया और सरकार कुर्बान कर दी थी। बैठक में बाढ़ के कारण मरने वालों के लिए शोक प्रस्ताव भी पारित हुआ।