नई दिल्ली (जनमत की पुकार)। राजधानी में महिलाओं के प्रति अपराध और हत्याओं का ग्राफ 70 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया है, जिससे दिल्ली पुलिस सवालों में है। यही नहीं मौजूदा आप सरकार के विधायकों के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर भी वह विवादों में रहती है। चुनौतियों से जूझती दिल्ली पुलिस राजधानी को महफूज रखने के लिए जी जान से जुटी रहती है। अपराध को खत्म करने की खास जम्मेदारी स्पेशल पुलिस आयुक्त दीपेन्द्र पाठक और उनकी टीम पर है। कानून-व्यवस्था, सुरक्षा और पुलिस के सामाजिक दायित्व आदि विषयों पर ‘जनमत की पुकार’ ने पाठक से विशेष बातचीत की।
पर्याप्त संसाधन और बेहतर पुलिसकर्मियों के बावजूद अपराध का ग्राफ बढ़ रहा है, क्या कारण हैं?
अपराध ग्राफ तब बढ़ता है जब हम दर्ज करते हैं। कमिश्नर अमूल्य पटनायक सहित दिल्ली पुलिस का हर अधिकारी इस पर विशेष नजर रखता है कि यहां हर व्यक्ति की शिकायत को दर्ज की जाए और उस पर सुनवाई की जाए। सभी की शिकायत दर्ज की जा रही है, इसी कारण ग्राफ बढ़ा हुआ दिखता है। दिल्ली पुलिस मुस्तैद रहती है। रात हो या दिन महिलाएं ही नहीं बुजर्ग व हर व्यक्ति बेखौफ घूमते हैं। हां, कुछ घटनाएं पुलिसिंग पर सवाल उठाती हंै, लेकिन दिल्ली पुलिस ही है जो घटित होने वाले अपराध में 95 फीसदी अपराध को 72 घंटों में सुलझा देती है। महिलाओं की सभी शिकायतें दर्ज की जाती हैं, इसी कारण आंकड़ों में महिलाओं के प्रति अपराध का ग्राफ बढ़ता दिखाई देता है।
आप मानते हैं कि दिल्ली में महिलाएं सड़क पर रात को निकलें तो वे महफूज हैं?
बिल्कुल! मैं क्या इस बात की गारंटी हर वो महिला देती है, जो रात में ऑफिस जाती है। सुबह नौकरी पर निकलती है। रात को कैब के जरिए कॉल सेंटर से घर आती है। हां कुछ अपवाद जरूर हैं और कुछ घटनाएं ऐसी हुई हैं जिसके चलते हमारी व्यवस्था पर सवाल उठे, लेकिन राजधानी दिल्ली एक मात्र ऐसी जगह है जहां आप रात को निकले तो पाएंगे कि महिलाएं चाहे परिवार के साथ मनोरंजन हो या फिर नौकरी, बिना किसी डर के बाहर निकलती हैं।
पहले छोटा शकील का शार्पशूटर फिर अबू सलेम का साथी, दिल्ली से गैंग चला रहे थे, क्या मान लें कि अब अंडरवल्र्ड ने यहां पर पैर पसार लिए हैं?
नहीं! राजधानी में एक भी संगठित गैंग संचालित नहीं है। जो छोटे मोटे गिरोह हैं, वे छोटे मोटे अपराध को अंजाम देते रहते हैं। अगर कोई संगठित गैंग संचालित होता है तो मकोका और एनएसए के तहत उन पर कार्रवाई की जाती है। यही नहीं दिल्ली पुलिस सीधे केंद्र सरकार से नियंत्रित होती है। ऐसे में अन्य राज्यों की तरह उन पर अपराध नियंत्रण के दौरान राजनीतिक दबाव नाममात्र का होता है। नीरज वबाना सहित राजधानी के सभी बड़े गैंग के लीडर जेल की सलाखों के पीछे हैं, इसलिए न तो अंडरवल्र्ड ही और न ही कोई संगठित गैंग राजधानी में सक्रिय है।
हिम्मत एप को तीसरी बार अपडेट किया गया है। आखिर इसमें इतनी जल्दी बदलाव लाने की क्या जरूरत पड़ गई?
इस एप को शुरू करने का उद्देश्य महिलाओं को एक ऐसा एप प्रदान करना था, जिसे वह अपने मोबाइल में डाउनलोड करके किसी भी समय विशेष परिस्थिति में पुलिस की सहायता प्राप्त कर सकें। ऐसे में महिलाओं के लिए इस एप को और सहयोगी बनाने के लिए इसमें बदलाव किए गए। पहले इस एप को अत्याधुनिक एप के बराबर बनाए रखने के लिए अपडेट किया गया है। यह तो गूगल भी अपने एप के साथ करती है। इसके अलावा आरंभ में यह एप सिर्फ एन्ड्रायड फोन के लिए था। फिर इसे आईओएस फोन के अनुसार अपडेट किया गया। क्योंकि, काफी संख्या में लोग आईओएस का उपयोग करते हैं।
वर्तमान में सबसे बड़ी चुनौती क्या है और उसके लिए क्या किया जा रहा है?
दिल्ली में देश से ही नहीं बल्कि दुनिया भर से आए लोग रहते हैं। यहां अव्यवस्थित कॉलोनियां बन गई हैं। यहां कोठियां भी हैं। झुग्गियां भी, यहीं पर संसद है, यही दूतावास भी। ऐसे में लॉ आर्डर को बनाए रखना बड़ी चुनौती है। आप खुद देखें तो करीब एक दशक में राजधानी में एक भी बड़ा सांप्रदायिक तनाव नहीं हुआ है और बड़ा आतंकी हमला भी नहीं हुआ। जिस चुस्ती के कारण यह संभव हुआ उसको बनाए रखना भी बड़ी चुनौती है। प्रहरी योजना के तहत ‘आई एंड ईयर’ प्रोग्राम चलाकर आम नागरिकों को जोड़ा गया है और जोड़ा जा रहा है। सीसीटीवी कैमरों के साथ चाय वाला, सब्जी वाला आदि को भी हमने अपनी आंख बनाया है। जिससे हम हर गतिविधि पर नजर रखते हैं।
दिल्ली पुलिस की बेहतरीन उपलब्धियां किसे मानते हैं?
अपराधों पर अंकुश, हर व्यक्ति की शिकायत को दर्ज करना, प्रत्येक थाने में हेल्प डेस्क बनाने के अलावा कई उपलब्धियां हैं। पुलिस 90 फीसदी जघन्य अपराधिक मामलों को सुलझा लेती है। हाल में पुलिस ने पराक्रम यूनिट की शुरुआत की है। ताकि किसी भी प्रकार की आतंकी घटना की जानकारी होने या घटना के होने की स्थिति में आम लोगों की सुरक्षा और हमलावरों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई हो सके। एचआर डेवलपमेंट में दिल्ली पुलिस की ओर से 25 से 26 हजार कर्मी को प्रोन्नति दी गई है ताकि उनका मनोबल बढ़े। इसके अलावा महिला सुरक्षा को महत्व देते हुए काफी काम किया गया है। सेल्फ डिफेंस ट्रेङ्क्षनग दी गई है। दिल्ली में करीब 70 हजार से ज्यादा मर्दानी तैयार की गई हैंै। जो अपनी रक्षा खुद कर सकती हैं।
आप विधायकों के लिए दुर्भावना नहीं
आम आदमी पार्टी कहती है कि उसके विधायकों को बिना वजह परेशान किया जाता है। तीन विधायकों के खिलाफ हाल में ही मुकदमा दर्ज किया गया है?
आरोप लगाना सबका अधिकार है, लेकिन हमें काम करना है। दिल्ली पुलिस पॉलिटिकल विवाद में नहीं पड़ती। नियम के तहत एफआईआर दर्ज की जाती है। आप विधायकों के खिलाफ भी यही किया गया है। वर्दी पर हमेशा आरोप लगा है, हम गृह मंत्रालय की बनी गाइडलाइन के तहत काम करते हैं, इसलिए हम पर कोई दबाव नहीं होता। आप के कई विधायकों पर एफआईआर है, लेकिन क्या सभी जेल में हैं? नहीं, साफ है कि जांच करके ही काम किया जाता है।