नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था में नरमी को लेकर चिंतित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्थिति का जायजा लेने और आर्थिक वृद्धि को गति देने के उपायों पर चर्चा के लिये वित्त मंत्री अरुण जेटली और अन्य शीर्ष अधिकारियों के साथ कल बैठक करेंगे।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मोदी आर्थिक स्थिति से संबद्ध विभिन्न पहलुओं के बारे में जेटली और वित्त मंत्रालय के सचिवों के साथ चर्चा करेंगे तथा अर्थव्यवस्था को गति देने के लिये उपाय तलाशेंगे।
हाल ही में जारी पहली तिमाही के जीडीपी वृद्धि के आंकड़े आने के बाद यह बैठक हो रही है। वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि 5.7 प्रतिशत रही जो तीन साल का न्यूनतम स्तर है। इससे पूर्व वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 7.9 प्रतिशत तथा पिछली तिमाही जनवरी-मार्च तिमाही में 6.1 प्रतिशत रही थी।
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर लगातर छठी तिमाही में घटी है। आर्थिक समीक्षा-दो में यह अनुमान जताया गया है कि अपस्फीति दबाव के कारण चालू वित्त वर्ष में 7.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर हासिल करना संभव नहीं होगा।
निर्यात के समक्ष भी चुनौतियां हैं और औद्योगिक वृद्धि दर पांच साल में न्यूनतम स्तर पर आ गयी है। अप्रैल-जून तिमाही में चालू खाते का घाटा (कैड) बढ़कर जीडीपी का 2.4 प्रतिशत या 14.3 अरब डालर पहुंच गया। मुख्य रूप से व्यापार घाटा बढऩे से कैड बढ़ा है।
बैठक में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के साथ हो रही कठिनाइयों, नोटबंदी के बाद के प्रभाव और राजकोषीय गुंजाइश जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। इसमें प्रत्यक्ष एवं परोक्ष कर संग्रह के साथ-साथ साल के अनुमान को भी प्रधानमंत्री के समक्ष पेश किया जा सकता है।
सरकार के वित्त के बारे में पूरी तस्वीर पेश करने के लिये विनिवेश राशि के बारे में भी प्रधानमंत्री को जानकारी दी जा सकती है। सूत्रों के अनुसार बैठक में आर्थिक वृद्धि को गति देने, रोजगार सृजन और निजी निवेश को पटरी पर लाने के उपायों पर चर्चा की जा सकती है।