वाशिंगटन। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने शनिवार को बताया कि भारत ने अमेरिका के समक्ष एच-1बी और एल1 वीजा का मुद्दा बेहद मजबूती से उठाया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी अब हालात का सामना करने में खासी मुश्किल होगी क्योंकि भारतीय आइटी पेशेवरों से उसे काफी फायदा मिल रहा था।
अमेरिकी श्रमिकों को संरक्षण प्रदान करने के उद्देश्य से ट्रंप प्रशासन ने इसी हफ्ते एच-1बी और एल1 वीजा के नवीनीकरण को और जटिल बना दिया है। जबकि ये दोनों वीजा भारतीयों के बीच काफी लोकप्रिय हैं। नए नियमों के मुताबिक, इन वीजा पर अमेरिका में कार्य करने वाले भारतीय आइटी पेशेवर ‘सामाजिक सुरक्षा’ में किए गए अपने योगदान को वापस नहीं ले जा सकेंगे। हर साल इसमें भारतीयों का योगदान करीब एक अरब अमेरिकी डॉलर का होता है।
भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार नीति फोरम की बैठक के बाद सुरेश प्रभु ने बताया, ‘मुझे उम्मीद है कि वे इस मसले पर विचार करेंगे।’ चिकित्सा उपकरणों के मूल्य नियंत्रण पर अमेरिकी चिंता का उल्लेख करते हुए प्रभु ने कहा कि अमेरिकी व्यापार प्रतिनिध रॉबर्ट लाइटहाईजर के साथ बैठक में उन्होंने अमेरिकी कंपनियों को ‘मेक इन इंडिया’ नीति के तहत भारत में ही निर्माण इकाइयां लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जिससे उनकी निर्माण लागत बेहद कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार अपने नागरिकों को सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं और अधिकतम स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध है।