कन्फेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने ई कॉमर्स कम्पनी अमेज़न द्वारा ग्रेट इंडियन फेस्टिव सेल एवं फ्लिपकार्ट द्वारा बिग बिलियनडेज सेल 13 अक्टूबर से 17 अक्टूबर तक एवं स्नैपडील द्वारा 12 अक्टूबर को इलेक्ट्रॉनिक्स मंडे सेल लगाये जाने को सरकार कीएफडीआई नीति का खुला उल्लंघन बताया है ! कैट ने कहा की एफडीआई नीति के अंतर्गत ये कंपनियां रिटेल ट्रेड नहीं कर सकती हैं लेकिननियमों को ताक पर रखते हुए ये कंपनियां खुले रूप से रिटेल व्यापार कर रही हैं जो ई कॉमर्स में मार्केटप्लेस मॉडल में प्रतिबंधित है !
केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ़ इंडस्ट्रियल पालिसी & प्रमोशन के सचिव को आज दर्ज़ की एक शिकायत में कैट नेमांग की है की इन कम्पनियों को यह सेल लगाने से रोक जाए और इनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाए ! कैट ने कंसोलिडेटेडएफडीआई पालिसी सर्कुलर 2015 की धारा ६ का हवाला दिया है जिसमें कहा गया है की ई कॉमर्स में बिज़नेस टू बिज़नेस 100 प्रतिशतविदेशी निवेश को अनुमति है लेकिन ई कॉमर्स में रिटेल ट्रेडिंग पर प्रतिबन्ध है! घरेलू व्यापार में एफडीआई के लिए लागू प्रतिबन्ध ईकॉमर्स पर भी लागू रहेंगे ! कैट ने अपनी शिकायत की प्रति केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को भी भेज करउनके तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है और कहा है की कैट की शिकायत के सन्दर्भ में वे सम्बंधित अधिकारीयों को तुरंत जरूरी कार्यवाहीकरने का निर्देश दें ! कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बी.सी.भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खण्डेलवाल ने कहा की इन कम्पनियों ने बड़े पैमाने पर प्रिंट,इलेक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया में विज्ञापन जारी करते हुए उपभोक्ताओं को अपने पोर्टल पर सेल के लिए आमंत्रित किया है ! क्योंकि इनकम्पनियों को विदेशी निवेश प्राप्त हुआ है इसलिए ये कंपनियां केवल बिज़नेस टू बिज़नेस तक ही ई कॉमर्स गतिविधियाँ कर सकती हैं औरसीधे तौर पर उपभोक्ता को माल नहीं बेच सकती! उपभोक्ताओं सीधे माल खरीदने के लिए आमंत्रित करना एफडीआई नीति का खुलाउल्लंघन है ! श्री भरतिया एवं श्री खण्डेलवाल ने यह भी कहा की ये कंपनियां अपने को मार्केटप्लेस मॉडल होने का दावा करती हैं इस नाते से ये केवलतकनिकी प्लेटफार्म ही चला सकती हैं जिस पर केवल विक्रेता पंजीकृत होकर इनके प्लेटफार्म के माध्यम से ई कॉमर्स द्वारा अपना सामानबेच सकता है ! जब ये कंपनियां अपने पोर्टल पर बिकने वाले सामान की मालिक ही नहीं है टू किस प्रकार ये अपने पोर्टल पर सेल लगासकती हैं लेकिन फिर भी ये कंपनियां अपने पोर्टल पर सेल का खुला आमंत्रण दे रही हैं जो सीधे ही एफडीआई नीति का उल्लंघन है ! उन्होंने यह भी कहा की यदि ये कंपनियां बिज़नेस टू बिज़नेस मॉडल ही करने का दावा करती हैं तो फिर सीधे उपभोक्ताओं को आमंत्रितकरने के लिए बड़े विज्ञापनों की क्या जरूरत है ! यहाँ तक की इनके पोर्टल पर जो सामान बिक्री होगा वो उपभोक्ता ही खरीदेंगे न कीव्यापारी ! ऐसे में यह साफ़ है की एक तरफ तो ये कंपनियां विदेशी निवेश प्राप्त कर रही हैं वहीँ दूसरी ओर सीधे उपभोक्ताओं को माल बेच रहीहैं जिससे सरकार की एफडीआई नीति की खुले आम धज्जियाँ उड़ रही हैं !