दिल्ली विधानसभा में पेश हुआ जनलोकपाल बिल

Jan-Lokpal-Billभ्रष्टाचार के खिलाफ जनलोकपाल बिल को सबसे बड़ा हथियार बताने वाली आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने सोमवार को दिल्ली विधानसभा में इसे पेश कर दिया। बीमारी के चलते अब तक सदन की बैठक में उपस्थित नहीं रहे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सोमवार को इस दौरान विशेष तौर पर मौजूद रहे। वहीं इस दौरान सदन में न नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता उपस्थित थे और न ही आप के विधायक पंकज पुष्कर। उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जनलोकपाल बिल को देश का सबसे बेहतर लोकपाल बिल करार दिया। उन्होंने कहा कि जिस जनलोकपाल बिल के लिए आंदोलन किया गया था, उसे पेश करते हुए वह गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं। अब इस बिल पर सदन में दो दिनों तक चर्चा होगी। इसके बाद इसे पास करने का प्रस्ताव लाया जाएगा। तीन सदस्यीय होगा लोकपाल: लोकपाल में तीन सदस्य होंगे, एक अध्यक्ष और दो सदस्य। चार वरिष्ठ सदस्यों की सहमति से लोकपाल नियुक्त किया जाएगा। इसमें दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री, विधानसभा के अध्यक्ष और सदन में नेता विपक्ष शामिल होंगे। उपमुख्यमंत्री का कहना है कि चयन प्रक्रिया के प्रमुख दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश होंगे। महाभियोग लगाकर ही हटाए जा सकेंगे लोकपाल: सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के जजों को हटाने के लिए संविधान में जिस प्रक्रिया का उल्लेख है, वही प्रक्रिया लोकपाल व सदस्यों को हटाने के लिए भी अपनाई जाएगी। यानी महाभियोग की प्रक्रिया के तहत ही अध्यक्ष व सदस्यों को हटाया जा सकता है। छह माह में होगी भ्रष्टाचार के मामलों की जांच: भ्रष्टाचार से संबंधित किसी भी शिकायत की जांच के लिए अधिकतम समयसीमा छह महीने निर्धारित की गई है। लेकिन कुछ दुर्लभ मामलों में जांच की प्रक्रिया 12 महीने तक चल सकती है। किसी भी मामले की जाच के बाद सजा सुनाने की प्रक्रिया छह महीने में पूरी करनी अनिवार्य होगी। खुद संज्ञान लेकर जांच करा सकता है लोकपाल: लोकपाल किसी भी मामले की खुद संज्ञान लेकर जाच का निर्देश दे सकता है। या किसी व्यक्ति या अधिकारी की शिकायत पर भी जाच का आदेश जारी कर सकता है। लोकपाल किसी अन्य अधिकारी से भी जाच कराने के लिए स्वतंत्र होगा। आजीवन कारावास का भी प्रावधान: भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी को छह माह से दस साल तक की सजा का प्रावधान है। लेकिन भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में आजीवन कारावास भी दिया जा सकता है। इसके अलावा रिश्वत से प्राप्त धनराशि से पाच गुना अधिक जुर्माना वसूला जाएगा। रिश्वत की धनराशि से खरीदी गई संपत्ति को भी जब्त किया जाएगा। अधिकारी का तबादला अथवा उसे निलंबित भी किया जा सकता है। शीर्ष पदों पर बैठे लोगों को होगी अधिक सजा: बिल में उल्लेख किया गया है कि किसी वरिष्ठ पद पर बैठे व्यक्ति को ज्यादा सजा सुनाई जाएगी। केंद्र के अधिकारी भी दायरे में: भ्रष्टाचार के मामले में केंद्र सरकार के अधिकारियों को भी सजा सुनाई जाएगी। इसके अलावा अगर किसी निजी कंपनी के अधिकारियों को भी भ्रष्टाचार में लिप्त पाया जाता है तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले को मिलेगी सुरक्षा: भ्रष्टाचार से संबंधित किसी भी मामले में यदि शिकायतकर्ता को जानमाल का खतरा होगा तो उसे प्रशासनिक सुरक्षा दी जाएगी। यदि शिकायतकर्ता अपनी पहचान छुपाना चाहता है तो उसका नाम गुप्त रखा जाएगा। गलत शिकायत करने वाले के खिलाफ भी सजा का प्रावधान किया गया है।

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