नई दिल्ली। शनि मंदिर में शनि देव की मूर्ति का महिला द्वारा अभिषेक करने पर मूर्ति के अपवित्र होने की बात वास्तविकता से परे है।
राष्ट्रवादी शिवसेना के अध्यक्ष और यूनाईटेड हिन्दू फ्रंट के राष्ट्रीय महासचिव श्री जयभगवान गोयल ने महाराष्ट्र के शिंगणापुर के प्रसिद्ध शनि मंदिर में महिला द्वारा मूर्ति अभिषेक पर हुए बवाल को अनावश्यक बताते हुए कहा कि हमारे सभी देवी-देवताआंे में महिलाआंे की भागीदारी सदियांे से चली आ रही है।
हिन्दू देवी-देवताओं में सीताराम, राधाकृष्ण, शिव-पार्वती आदि का उल्लेख सभी ग्रंथांे-महापुराणांे में मिलता है। पुराणांे के अनुसार भगवान शनि भी सूर्य भगवान के पुत्र हैं। किदवंतियांे में कहा गया है कि सूर्य भगवान का विवाह प्रजापति दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुआ। कुछ समय प्रश्चात् उन्हंे तीन संतान मनु, यम और यमुना की प्राप्ति हुई। संज्ञा भगवान सूर्य का तेज सहन नहीं कर पाती थी। कुछ समय तक उन्होंने निर्वाह किया जब तेज असहनीय हो गया तो संज्ञा अपनी छाया सूर्य की सेवा में छोड़कर चली गयी। कुछ समय बाद छाया के गर्भ से शनि देव का जन्म हुआ। संभवतः तभी शनि का रंग कालिमायुक्त है। पुराणांे में शनि के विवाह किए जाने की भी चर्चा है। इस लिहाज से महिला द्वारा शनि मूर्ति का अभिषेक कहीं भी आपत्तिजनक नहीं माना जा सकता। निश्चय ही किन्हीं व्यक्तिगत कारणांे से इस अभिषेक का विरोध किया जा रहा है।
श्री गोयल ने कहा कि हिन्दू समाज को अपनी सोच व विसंगतियांे में व्यापक सुधार लाना होगा। हमारा धर्म हमंे महिलाआंे से अलग होने की कहीं शिक्षा नहीं देता। महिलाएं हमारे लिए हमेशा श्रद्धा की पात्र रही हैं और रहंेंगी। आज के भौतिक युग में वैसे भी महिलाएं पुरूषांे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। आज महिलाएं पायलट, इंजीनियर बनने और यहां तक की चांद तक पहुंचने का सामथ्र्य रखती हैं तो मूर्ति का अभिषेक असहनीय कैसे हो सकता है।
श्री गोयल ने बताया कि मथुरा जनपद के कोसी क्षेत्र में सुप्रसिद्ध कोकिलावन शनि मंदिर में भी महिलाआंे के पूजा अर्चना करने में कोई निषेध नहीं है। कोकिलावन में महिलाएं पुरूषांे के समान ही भगवान शनि की अराधना व पूजा आदि करती हैं।