बिहार में टॉपर्स की हकीकत सामने आने के बाद अब दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) में विद्यार्थियों को दाखिला 12वीं में प्राप्त अंक के बजाय प्रवेश परीक्षा के आधार पर देने व दिल्ली के छात्रों के लिए 85 फीसद सीटें आरक्षित करने की भी मांग की गई है। इसे लेकर दिल्ली प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष व राज्यसभा सदस्य विजय गोयल ने डीयू के कुलपति प्रोफेसर योगेश त्यागी से मुलाकात की। वह दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से भी मिलेंगे। उन्होंने मंगलवार को आयोजित प्रेसवार्ता में कहा कि भ्रष्टाचार, नकल व फर्जी मार्कशीट से डीयू में दाखिला लेन वालों को रोकने के लिए कदम उठाना होगा। सभी राज्यों में अलग-अलग शिक्षा बोर्ड, कोर्स होने के साथ ही परीक्षा पद्धति भी अलग है। सभी को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के समकक्ष रखकर नहीं देखा जा सकता। कहीं उदारता से नंबर दिए जाते हैं तो कहीं सख्ती बरती जाती है। लिहाजा डीयू में कट ऑफ लिस्ट का सिद्धांत ही बेमानी है। दूसरे राज्यों में नकल के मामले सामने आ रहे हैं ऐसे में जरूरी कदम उठाना चाहिए। यदि कुछ कोर्स में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा हो सकती है तो फिर यह नियम सभी कोर्स पर क्यों नहीं लागू हो सकता है। गोयल ने कहा कि वे कई वर्षो से माग कर रहे हैं कि दिल्ली से 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने वालों को डीयू में दाखिले के लिए अंकों में चार फीसद की छूट मिलनी चाहिए। दिल्ली के 18 कॉलेज दिल्ली सरकार के प्रबंधन में हैं। इनमें 85 फीसदी सीटें यहां के विद्यार्थियों को मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली से कुल 2,23439 विद्यार्थियों ने 12वीं की परीक्षा पास की है, जबकि डीयू में सिर्फ 54,000 सीटें हैं। इसमें सामान्य श्रेणी के लिए सिर्फ 26000 सीटें हैं। शेष सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी), अनुसूचित जाति व जनजाति (एससी व एसटी)के लिए आरक्षित है। जबकि दिल्ली में ओबीसी व एसी, एसटी की आबादी कम है। सामान्य श्रेणी की जो सीटें हैं, उस पर भी दूसरे राज्यों के विद्यार्थियों को दाखिल मिल जाता है। इस स्थिति में दिल्ली के विद्यार्थियों को डीयू में दाखिला नहीं मिलता है और उन्हें दूसरे राज्यों में जाकर पढ़ाई करनी पड़ती है। उन्होंने कहा कि उनका मकसद केवल दिल्ली के विद्यार्थियों को उनका हक दिलवाना है। यह राजनीति का विषय नहीं है। इसलिए वह दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया से भी मिलेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार सहित कई राज्यों के विद्यार्थी अच्छी पढ़ाई के लिए दिल्ली आते हैं। इसलिए यह भी सवाल उठता है कि उन राज्यों में अच्छे कॉलेज क्यों नहीं खुल रहे हैं और इसके लिए जिम्मेदार कौन है?
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