40 साल पहले इंदिरा गांधी ने नहीं चुना होता ‘पंजा’ तो आज सपा के पास नहीं होती साइकिल

akhilesh-with-mulayam_148नई दिल्ली. समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह और अखिलेश यादव गुट में साइकिल के चुनाव चिह्न (सिंबल) को लेकर लड़ाई छिड़ी है। साइकिल पर अपने-अपने दावे को लेकर दोनों गुटों का मामला इलेक्शन कमीशन (ईसी) में पेंडिंग है। कमीशन ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। हालांकि, साइकिल के चिह्न से जुड़ा एक दिलचस्प वाकया है। दरअसल, इमरजेंसी के बाद जब 1977 में कांग्रेस की हार हुई तो इंदिरा गांधी ने कांग्रेस (आई) बनाई। उस वक्त इंदिरा के साथ इलेक्शन कमीशन गए हंसराज भारद्वाज ने janmatkipukar.com को बताया कि तब हमें साइकिल और हाथी का ऑप्शन दिया गया। लेकिन इंदिराजी ने ‘पंजा’ को सिंबल चुना और साइकिल के ऑप्शन को छोड़ दिया।
इंदिरा ने क्यों चुना था ‘पंजा’…
– माना जाता है कि ‘पंजा’ कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी चन्द्रशेखर सरस्वती का आशीर्वाद है। आपातकाल के बाद बुरी तरह हारने पर इंदिरा उनसे मिलने गई थीं। तब शंकराचार्य ने दाहिना हाथ उठाकर आशीर्वाद दिया और पंजे को चुनाव चिह्न बनाने को कहा।
– इसके बाद नए सिंबल पर लड़ी कांग्रेस ने 4 राज्यों में सत्ता में वापसी की थी।
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1# आजादी के बाद किन सिंबल पर चार बार चुनाव लड़ी कांग्रेस?
– आजादी के बाद 1952 से 1971 तक कांग्रेस ने चुनाव आयोग से मिले सिंबल ‘दो बैलों की जोड़ी’ पर चार लोकसभा चुनाव लड़े थे।
2# कब दो धड़ों में बंटी कांग्रेस?
– 1967 में पहली बार कांग्रेस को कड़ी चुनाैती मिली और लोकसभा चुनाव में सिर्फ 153 सीटें मिलीं। कई लोगों ने इंदिरा की लीडरशिप पर सवाल उठाए।
– नतीजतन, 1969 में कांग्रेस दो धड़ों में बंट गई। के. कामराज की अगुआई में कांग्रेस-ओ (इंडियन नेशनल कांग्रेस-ऑर्गनाइजेशन) बनी।
– वहीं, इंदिरा ने अपने समर्थकों के साथ कांग्रेस-आर (इंडियन नेशनल कांग्रेस-रिक्विजिशन) बना ली।
3# उस वक्त भी क्या चुनाव आयोग तक पहुंचा था मामला?
– इंदिरा गुट ने दो बैलों की जोड़ी के चुनाव चिह्न पर दावा किया, लेकिन कांग्रेस-ओ ने इसका विरोध किया। ईसी ने इसे फ्रीज कर कामराज गुट को ‘चरखा’ और इंदिरा गुट को ‘गाय-बछड़े’ का नया सिंबल दे दिया था।
4# इंदिरा गुट ने छह साल किस चिह्न पर लड़ा चुनाव?
– 1971 से 77 तक पुराने चिह्न से मिलता-जुलता ‘गाय-बछड़ा’ इंदिरा गुट (कांग्रेस-आर) का सिंबल रहा। 1971 के इलेक्शन में इंदिरा गांधी ने इसी चिह्न पर कामयाबी हासिल की।
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5# इमरजेंसी के बाद कैसे बदले हालात?
– 1975 में इमरजेंसी लगने के बाद जब 1977 में चुनाव हुए तो इंदिरा गुट की कांग्रेस-आर हार गई। पार्टी में एक बार फिर नाराजगी उभरी और यह दो गुटों में बंट गई।
– इसके बाद इंदिरा ने कांग्रेस-आई (कांग्रेस-इंदिरा) बनाई। तब उन्होंने सिंबल ‘पंजा’ चुना। हालांकि, उनके सामने ‘साइकिल’ और ‘हाथी’ सिंबल का भी ऑप्शन था।
– पंजा चुनाव चिह्न चुनने के लिए उस वक्त इंदिरा के साथ बूटा सिंह, पीवी नरसिंह राव और हंसराज भारद्वाज चुनाव आयोग गए थे।
6# सपा ने साइकिल और बसपा ने हाथी कब चुना?
– 1980 के चुनाव में पंजे के साथ इंदिरा जीतकर सत्‍ता में लौटीं। तभी से ‘पंजा’ कांग्रेस का सिंबल है।
– इसके बाद बहुजन समाज पार्टी ने 1984 में ‘हाथी’ और समाजवादी पार्टी ने 1992 में ‘साइकिल’ सिंबल चुना।
– हालांकि, 1952 के पहले आम चुनाव में ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्‍लॉक (रुइकर) ने सबसे पहले ‘पंजा’ सिंबल पर चुनाव लड़ा था।
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