नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम चुनाव में विजय पताका फहराने के मकसद से भाजपा ने पार्षद बंदी का दांव चला। भाजपा इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘न्यू इंडिया’ सोच बता नाराज पार्षदों के जख्मों पर महरम लगाने की भरसक कोशिश कर रही है लेकिन हकीकत यही है कि तमतमाए पार्षदों ने नया ठिकाना तलाशना शुरू कर दिया है। भाजपा के 2 बड़ी कमेटियों के चेयरमैन ने कांग्रेस का दरवाजा खटखटाया है। इतना हीं नहीं बसपा की एक पार्षद ने भी कांग्रेस आलाकमान से गुजारिश की है। हालांकि कांग्रेस पार्षदों पर दांव लगाने में हिचक रही है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक 2 बड़े नेताओ ने कांग्रेस ज्वाइन करने की इच्छा जताई है। सूत्रों की मानें तो ये दोनों भाजपा द्वारा बनाई गई कमेटियों के चेयरमैन पद पर काबिज हैं। भाजपा द्वारा दो दिन पूर्व वर्तमान पार्षदों को टिकट नही देने के फैसले से दोनों ही प्रभावित हैं।
कांग्रेस नेता ने बताया कि इन 2 नेताओं के अलावा तीन अन्य नेताओं ने भी पार्टी ज्वाइन करने में दिलचस्पी जताई है। हालांकि अभी तक 2 नेताओं ने ही औपचारिक पेशकश की है। नेता की मानें तो ये दोनों चेहरे काफी प्रसिद्ध जरूर हैं लेकिन पार्षद बंदी का जनता में यही संदेश गया है कि भाजपा के पार्षद भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। ऐसे में चुनाव में इन पर दांव लगाना मुश्किलों से भरा हो सकता है। शायद, यही कारण है कि पार्टी आलाकमान ने तत्काल हामी नहीं भरी। पार्टी सदस्यता के लिए तीन अन्य नेताओं ने भी वरिष्ठ कांग्रेसी पार्षदों से संपर्क स्थापित किया है। इनमें से एक दक्षिणी दिल्ली नगर निगम जबकि दो उत्तरी में भाजपा के नेता हैं।
गौरतलब है कि मंगलवार को प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने निगम पार्षदो संग बैठक के बाद वर्तमान पार्षदों को टिकट नहीं देने की घोषणा की थी। बैठक में पार्टी के इस निर्णय से कई वर्तमान पार्षदों ने नाराजगी भी जताई थी।