अप्रैल फूल: नेता और मतदाताओं के बीच चल रहा है बनने – बनाने का खेल

नई दिल्ली। राजधानी की करीब 1800 से अधिक अनधिकृत कॉलोनियां और इनमें रहने वाले लोग ‘नियमित और अनियमित’ के बीच झूल रहे हैं। नियमित होंगे तो विकास होगा, यह सपना मन में संजोए वह हर बार चुनाव में वोट देते हैं, लेकिन जीतने के बाद नेता वादा भूल जाते हैं और कॉलोनियां लटकी रह जाती हैं।

सत्ता संभालते ही आप सरकार ने अवैध कॉलोनियों को नियमित करने का दावा किया था, लेकिन 2 वर्ष गुजरने के बाद सिर्फ 39 अवैध कॉलोनियों का सर्वे मात्र हो पाया है। शहरी विकास विभाग के प्रधान सचिव जनक दिग्गल ने राजस्व विभाग के सचिव को कड़ा पत्र लिखकर सर्वे की सुस्त चाल पर गहरी नाराजगी जताई है।

कॉलोनियां के टोटल स्टेशन मशीन (टीएसएम) सर्वे के लिए दो एजेंसियों को चुना गया है, जिनको राजस्व विभाग की मदद से काम को पूरा करना है। अप्रैल 2015 से ही एजेंसियां काम कर रही हैं। करीब डेढ़ वर्ष में 39 अवैध कॉलोनियों के ही सर्वे हो सका है। वह भी आधा-अधूरा। कांग्रेस के राज में तो 1400 कालोनियों को प्रोवीजनल सर्टिफिकेट भी दे दिए गए थे, लेकिन पक्का करने का काम नहीं हुआ।

वादा तेरा वादा

– फ्री वाई-फाई : जनता को अभी तक यह सुविधा नहीं मिली है। सीएम केजरीवाल कहते हैं कि यह 2 नहीं, 5 साल का वायदा था।

-सीसीटीवी : सुरक्षा के लिहाज से पूरी दिल्ली को सीसीटीवी से युक्त करने का वायदा हुआ था। अभी तक इस पर पूरी तरह अमल नहीं हुआ है। हालांकि, कुछ विधायकों ने अपने खर्चे पर चुनिंदा जगहों पर सीसीटीवी जरूर लगवाए हैं।

-डीटीसी बस : सार्वजनिक परिवहन सेवाओं को दुरस्त करने के लिए हजारों की संख्या में डीटीसी बसों को लाने का वायदा किया था। लेकिन, अब सरकार कलस्टर बसों को लाने पर काम कर रही है।

-बसों के किराए में कमी : स्कूली बच्चों, कामकाजी महिलाओं व बुजुर्गों को डीटीसी की बसों में विशेष रियायत देने की योजना दिल्ली सरकार ने बनाई थी। 1 जनवरी से इसके लागू होने की घोषणा भी की गई। लेकिन, अब तक हुआ कुछ नहीं।

-मोहल्ला क्लीनिक : सरकार में आने के बाद अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिसम्बर 2016 तक दिल्लीभर में 1000 मोहल्ला क्लीनिक खोल देंगे। लेकिन, 162 का ही उद्घाटन हो सका।

-आम आदमी कैंटीन : 10 रुपए में जनता को पौष्टिक भोजन मुहैया कराने का वायदा किया गया। कई महीने गुजर जाने के बावजूद यह वायदा अधर में लटका हुआ है। इसी घोषणा आशीष खेतान ने की थी।

-महिला मार्शल : महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से दिल्ली सरकार ने वायदा किया था कि महिला मार्शलों की तैनाती कई जगहों पर की जाएगी। अब तक इस पर सरकार ठोस काम नहीं कर पाई है।

-गेस्ट टीचर्स : दिल्ली सरकार के स्कूलों में पढ़ा रहे गेस्ट टीचर्स भी पक्की नौकरी और अपने वेतन की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे हैं। चुनाव से पहले किया गया यह वायदा भी सही ढंग से पूरा नहीं हो सका है।

-बिजली और पानी पर हुआ काम: कई वायदों को पूरा नहीं कर पाने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार ने बिजली और पानी के वायदों को जरूर पूरा किया है। इसका लाभ खास तौर से कमजोर आर्थिक वर्ग के लोग उठा रहे हैं। बिजली के दाम आधे, तो पानी के दाम मुफ्त हुए हैं।

खूब बनाए जाते हैं अभिभावक

निजी विद्यालयों में नर्सरी एडमिशन के दौरान अभिभावकों को दिक्कत नहीं होगी। यह दावा आप सरकार ने किया था, लेकिन शिक्षा विभाग की तरफ से इसबार बड़े-बड़े दावें किए गए इस बार निजी स्कूलों में होने वाली नर्सरी दाखिला प्रक्रिया में अभिभावकों को किसी तरह की परेशानी नहीं होने दी जाएगी, स्कूलों पर नकेल कसी जाएगी।

मगर जैसे ही राजधानी के निजी स्कूलों में नर्सरी दाखिला प्रक्रिया शुरू हुई। शिक्षा विभाग के वायदे कोरे साबित हुए। स्कूल अपनी मनमानी करते दिखाई दिए। यही नहीं सरकार के नियम में प्रवेश की न्यूनतम उम्र तो तय कर दी गई, मगर अधिकतम उम्र नहीं। यह भी परेशानी का सबब रहा।

नतीजा यह हुआ कि स्कूलों ने अपने स्तर से सभी कक्षाओं में अधिकतम उम्र निर्धारित कर दी और उससे अधिक उम्र के बच्चों को अपने यहां दाखिला नहीं दिया। जनरल की दाखिला प्रक्रिया के बाद अब यह ईडब्ल्यूएस वर्ग में ही परेशानी दिखाई दे रही है।

कटौती चालूआहे…

बिजली कटौती पर दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) यह आश्वासन देता आ रहा है कि इस गर्मी में बिजली कटौती नहीं की जाएगी। कटौती की गई तो बिजली उपभोक्ताओं को कटौती के घंटों के हिसाब से बिजली कंपनियों पर जुर्माना लगा पैसे दिए जाएंगे। कटौती किए जाने के पैसे उपभोक्ता के बिजली बिल में जुड़कर आएंगे।  लेकिन न तो कटौती रुकी और न ही उपभोक्ताओं को कटौती के एवज में  पैसे मिलने शुरू हुए हैं।

सदैव आपके साथ… दिल्ली पुलिस का ‘जुमला’

दिल्ली पुलिस का नारा है सदैव आपके साथ, सदैव आपके लिए! लेकिन कैसे? पीएचक्यू जहां पर कमिश्नर से लेकर पुलिस की आलाधिकारी बैठते हैं, उनकी नाक के नीचे और महज 500 मीटर की दूरी पर ही दिनदहाड़े लाखों रुपए लूट लिए जाते हैं।

पुलिस का एक और दावा जनता है कि दिल्ली में हर जगह सीसीटीवी लगे हैं, लेकिन राजधानी की सड़कों पर हुए 70 फीसदी से ज्यादा अपराध इस तीसरी आंख में कैद ही नहीं हो पाते। हो सकता है कि पुलिस ने कैमरे लगवाएं है, लेकिन उनकी आंखें अपराध के समय बंद हो जाती हैं। कमिश्नर अमूल्य पटनायक का दावा है कि राजधानी में हर महिला महफूज है। लेकिन,गत वर्ष में रेप की घटनाओं में 200 फीसदी तो छेडख़ानी की घटनाओं में 90 फीसदी से घटनाएं हुई हैं।

2 मिनट में पीसीआर पहुंचने का दावा, हकीकत या फसाना: दिल्ली पुलिस का दावा है कि घटना के 2 मिनट के भीतर पीसीआर की गाड़ी मौके पर पहुंच जाएगी। लेकिन, आरटीआई के खुलासे के बाद ही पता चला जिन मामलों में 100 नंबर डायल किया जाता है उसमें से 35 फीसदी मामलों में पुलिस देरी से पहुंचती है।

निर्भया फंड की सुध नहीं: निर्भया कांड के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए निर्भया फंड जारी किया गया। दिल्ली पुलिस आयुक्त ने दावा किया था कि वह फंड से महिलाओं की सुरक्षा के लिए काम करेगी। लेकिन दिल्ली पुलिस अभी इस फंड सेे एक रुपया नहीं ले पाई। यही नहीं हिम्मत एप सहित पांच एप महिलाओं की सुरक्षा के लिए चल रहे हैॆ, उसके बावजूद भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। उनके साथ आपराधिक वारदातें और उनका उत्पीडऩ हो रहा है।

जांच में ‘नंबर 1’ है दिल्ली पुलिस 

जेएनयू का छात्र है नजीब लापता है और दिल्ली पुलिस उसका पता लगा रही है। महीनों बाद वह मिला नहीं। मतलब जांच में दिल्ली पुलिस नंबर 1 है। उसकी कार्यशैली को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट भी तल्ख टिप्पणी कर चुकी है कि लगता है कि नजीब को दिल्ली पुलिस कागजों में ही खोज रही है।

ऐसा है भी, क्योंकि तीन थाने की टीम, सहित क्राइम ब्रांच कई माह से खोज में लगी है। इसी तरह हाईप्रोफाइल मामला सुनंदा पुष्कर का भी है। इस जांच में तो पुलिस ने विदेशी एजेंसी की मदद लेने का दावा किया, लेकिन सुनंदा पुष्कर की हत्या हुई थी या आत्महत्या, ये पहेली बना हुआ है।

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