नई दिल्ली। सरस्वती विहार इलाके में पिछले दिनों एक मंदिर तोड़े जाने के विरोध में स्थानीय लोग आक्रोशित हो उठे और जमकर विरोध जताया। बहुसंख्यक समाज के धार्मिक स्थल को ढहाने का विरोध करने वालों में आम लोगों के साथ ही इलाके के नवनिर्वाचित निगम पार्षद भी शामिल थे।
दरअसल 18 मई को सरस्वती विहार निगम वार्ड के मित्र विहार में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की जमीन पर अवैध रूप से बने एक शिव मंदिर को डीडीए कर्मचारियों द्वारा ढहा दिया गया। सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने के इस अभियान को डीडीए द्वारा तड़के सुबह तीन बजे अंजाम दिया गया। उस समय मंदिर में पुजारी उपस्थित थे, लेकिन दिन निकलते ही मंदिर तोड़े जाने की बात इलाके में आग की तरह फैल गई और अगल—बगल के लोग कार्रवाई स्थल पर पहुंचकर हंगामा करने लगे। डीडीए द्वारा अतिक्रमण के विरूद्ध की गई इस कार्रवाई का विरोध करने वालों में दर्जनों स्थानीय नागरिकों के साथ ही सरस्वती विहार वार्ड से भारतीय जनता पार्टी के नवनिर्वाचित निगम पार्षद नीरज गप्ता भी थे। मंदिर के पुजारी सहित स्थानीय लोगों ने डीडीए द्वारा बिना पूर्व सूचना के की गई इस कार्रवाई पर रोष जताया। लोगों ने मीडिया से बात करते हुए प्रशासन द्वारा पुनः इसी जगह पर मंदिर बनाये जाने की मांग की। पार्षद नीरज गुप्ता ने भी कैमरे के सामने हर हाल में उसी जगह दोबारा मंदिर बनवाने का आश्वासन लोगों को दिया। इस दौरान मंदिर के पुजारी पं. गोविंद प्रसाद पाठक ने डीडीए की इस कार्रवाई के दौरान मूर्तियों के साथ मौजूद सोने—चांदी के आभूषणों के गायब होने की बात कही।
गौरतलब है कि मित्र विहार में स्थित यह मंदिर लगभग 35 साल पुराना है। यहां सरस्वती विहार, मित्र विहार, बैंक विहार, आनन्द विहार, शक्ति विहार, पीतमपुरा सहित आसपास की कई सोसाइटियों के लोग पूजा—अर्चना के लिए आते थे। यहां हिंदू धर्म के सभी त्योहार पूरे धूमधाम व हर्षोल्लास से मनाये जाते थे। 250 गज में बने इस मंदिर के ढहाये जाने से स्थानीय लोग आहत हैं और उनके सामने नवरात्रि, शिवरात्रि व कृष्णाष्ठमी जैसे त्योहारों पर क्षेत्र के बाहर पूजा के लिए जाने की मजबूरी का संकट पैदा हो गया है।
डीडीए लोकल शॉपिंग सेन्टर के लिए प्रस्तावित जगह पर बनी इस मंदिर के तोड़े जाने के पीछे एक ओर जहां कुछ लोग इसे अतिक्रमण हटाना बता रहे हैं, तो दूसरी ओर अखबार को एक विश्वस्त सूत्र से पता चला है कि डीडीए की इस कार्रवाई के पीछे यहां की एक आवासीय सोसाइटी के प्रधान का हाथ है। कहा जा रहा है कि उस प्रधान की मंदिर के पुजारी के साथ नहीं बनती थी, तो बदले की भावना में प्रधान ने डीडीए को शिकायत कर यह कार्रवाई करवायी।