नई दिल्ली। दिल्ली में ‘आप’ सरकार से बर्खास्त हुए पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने एक बार फिर से केजरीवाल पर निशाना साधा है। उन्होंने इस बार संसदीय सचिव बनाए जाने के कारण विधानसभा की सदस्यता जाने के संकट में फंसे विधायकों की दुखती नस को दबाते हुए अरविंद केजरीवाल पर वार कर कहा कि आम आम आदमी पार्टी के जिन 21 विधायकों पर ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का केस है। इन पर किसी भी दिन चुनाव आयोग का अंतिम निर्णय आ सकता है। इनमें से ज्यादातर को यह नहीं पता कि आखिर उन्हे संसदीय सचिव क्यों बनाया गया था।
इन विधायकों को आज भी पता नहीं है कि 21 विधायकों के केस की सारी प्रक्रिया पूरी हो गई है। बस अब आखिरी फैसला आने तक की देर है । जबकि अरविंद केजरीवाल ने इन विधायकों में एक झूठ कायम कर रखा है कि अभी तो ये केस लंबा चलेगा।
पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने कहा कि सभी विधायक ये जानते है कि एक भी विधायक संसदीय सचिव बनने के लिए या पद मांगने के लिए केजरीवाल के पास नहीं गया था। कोई आवश्यकता ही नहीं थी कि नियमों को तोड़कर जल्दबाजी में विधायकों की सदस्यता खतरे में डाली जाए।
वहीं सबसे बड़ी बात तो यह कि मुख्यमंत्री के संसदीय सचिव का पद नियमों के अनुसार रहा था। लेकिन इस पद पर किसी की नियुक्ति नहीं की गई । इससे यह साफ पता लगता है कि यह सब जानबूझकर कराया गया है।
इसको लेकर सवाल उठाते हुए कपिल मिश्रा ने कहा कि आखिर कौन है इसका जिम्मेदार? किसने खड़ी की ये मुसीबत? क्या ये सब जानकर विधायकों को डराकर व फंसाकर रखने के लिए गया था?
इसके अलावा कपिल मिश्रा ने कहा कि 21 विधायकों की सदस्यता किसी भी दिन जा सकती है। 67 विधायकों वाली सरकार भी अगर कोई आदमी चला न पाए तो क्या कहा जा सकता है। उसके लिए हर भाषा में अलग – अलग शब्द है पर सवाल केवल योग्यता पर नहीं बल्कि उसकी नीयत पर भी उठते है।
अब जब फंस चुके है तो चुनाव आयोग से लड़ने का माहौल बनाया जा रहा है। ये ईवीएम की लड़ाई इसलिए भी है ताकि जनता को यह दिखाया जा सके कि हम चुनाव आयोग से लड़ रहे हैं।
ऐसे में हमारे विधायकों की सदस्यता रद हो रही है। यह केजरीवाल की ओर से चुनाव आयोग को दबाव में लाने की कोशिश है, लेकिन ऐसे तमाशे विधायोकं को कब तक बचाते रहेंगे?