नई दिल्ली। वर्ष 1983 की फिल्म ‘हादसा’ का यह गाना बम्बई जो आज मुम्बई है, उसके लिए गाया गया था। इस फिल्म में यह बताने की कोशिश की गई थी कि बम्बई में हादसे बहुत होते हैं। तब से लेकर अब तक बॉलीवुड नगरी की माया और भी बढ़ गई है और हादसों की संख्या कितनी बढ़ी होगी, इसका अंदाजा कोई भी आसानी से लगा सकता है। जिस तरह की भीड़ मुम्बई में है, उसमें वहां दुर्घटनाएं भी बहुत होती होंगी, ऐसा सामान्य तौर पर समझा जा सकता है, लेकिन राजधानी वालों को खबरदार करने वाली बात यह है कि मुम्बई से तीन गुना हादसे यानी सड़क दुर्घटनाएं दिल्ली में होती हैं।
पैदल चलने वालों की जान हथेली पर
दिल्ली की सड़कें जानलेवा हैं। सड़कों पर पैदल चलने वालों की जिंदगी खतरे में रहती है। पिछले छह साल में सड़क हादसों में 10 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। सड़क हादसों में होने वाली लोगों की मौत के मामले में मुम्बई और बेंगलुरू की सड़कें दिल्ली के मुकाबले थोड़ी सुरक्षित जरूर है। दिल्ली की अपेक्षा मुम्बई में छह साल में करीब 3 हजार लोगों की मौत सड़क हादसे में हुई है, जबकि बेंगलुरू में यह आंकड़ा करीब 6000 के आस-पास दर्ज किया गया है।
दिल्ली में उन सड़कों पर ज्यादा हादसे होते हैं जहां की सड़कें थोड़ी ज्यादा चौड़ी हैं और उन पर लोगों की पैदल आवाजाही अधिक रहती है। दिल्ली यातायात पुलिस के मुताबिक वर्ष 2011 से 2016 के बीच राजधानी में 10,406 मौतें सड़क हादसों में हुई हैं, जबकि इस अवधि में मुम्बई में 2,956 और बेंगलुरू में 4383 मौतें सड़क हादसों में हुई हैं।
सड़क हादसों वाले रास्ते
मुकुंदपुर चौक, निगम बोध घाट, डॉ. भाभा मार्ग क्रॉसिंग, आईएसबीटी कश्मीरी गेट, शाहदरा फ्लाईओवर, बारापुला रिंग रोड, इंदिरा पार्क (किराड़ी), शास्त्री पार्क, शाहाबाद डेयरी, पीरागढ़ी चौक, बुधपुर गंदा नाला, मधुबन चौक, मजनू का टिला, भलस्वा डेयरी चौक, जहांगीरपुरी बस स्टैंड, केशोपुर टी प्वाइंट, आरटीआर फ्लाईओवर, बेर सराय फ्लाईओवर और बुराड़ी चौक ।
- मुम्बई से तीन गुना सड़क दुर्घटनाएं होती हैं राजधानी में
- जानलेवा हैं यहां की सड़कें, 6 साल में 10 हजार मौतें
- आईएसबीटी-मजनू का टीला रोड सबसे ज्यादा खतरनाक
7375- वर्ष 2016 में हुए कुल सड़क हादसे
2514- वर्ष 2017 में हुए कुल सड़क हादसे
39,563- वर्ष 2016 में ओवर स्पीडिंग के हुए कुल चालान
36,961- वर्ष 2017 में ओवर स्पीडिंग के हुए कुल चालान
सड़क हादसों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े
- दिल्ली में वर्ष 2015 में कुल सड़क हादसों में से 43 फीसदी हादसे ओवर स्पीडिंग के कारण हुए
- सड़क हादसों के मामले में मुम्बई और बेंगलुरू से आगे है दिल्ली
- वर्ष 2015 में दिल्ली में हुए कुल 1582 सड़क हादसे जिनमें 1622 लोगों की मौत हो गई
- वर्ष 2015 में सड़क पर पैदल चल रहे 684 लोगों की मौत हुई
- सड़कों पर दोपहिया वाहन चालकों की जान भी खतरे में
- सबवे और फुटओवर ब्रिज का इस्तेमाल न करना भी है पैदल चलने वाले लोगों की मौत का बड़ा कारण
- भारत में वर्ष 2015 में 1.46 लाख लोगों की हुई मौत सड़क हादसों में
इन इलाकों में हुए हादसों में मौके पर ही हो गई मौत
‘वजीराबाद, आजादपुर, दिलशाद गार्डन, रोहिणी, पश्चिम विहार, पुरानी दिल्ली, आईजीआई एयरपोर्ट और दिल्ली विश्वविद्यालय के पास।
खूनी बन गए हैं कई रास्ते
दिल्ली यातायात पुलिस के मुताबिक आईएसबीटी-कश्मीरी गेट रिंग रोड व मजनू का टिला-निगम बोध घाट रोड सड़क हादसों के मामले में सबसे ज्यादा खतरनाक है। सड़क के इस स्ट्रेच पर सबसे ज्यादा सड़क हादसे हुए हैं जिनमें अधिकांश लोगों की मौत हो गई है। इसके अलावा बारापुला फ्लाईओवर, शाहदरा और आईटीओ पर भी सड़क हादसे दूसरी सड़कों की अपेक्षा ज्यादा होते हैं।
दिल्ली यातायात पुलिस के पूर्व चीफ मैक्सवेल परेरा के मुताबिक राजधानी में सड़कों के इस स्ट्रेच पर ज्यादा सड़क हादसे इसलिए हुए हैं क्योंकि यह स्टे्रच बेहद चौड़ा है और यहां पर पैदल लोगों की आवाजाही अधिक रहती है जो सड़क हादसों का एक बड़ा व प्रमुख कारण है।
वर्ष 2011 से 2016 के बीच दिल्ली, मुम्बई और बेंगलुरू में हुए कुल सड़क हादसे
10,406- दिल्ली
2514- मुम्बई
36,961- बेंगलुरू