नई दिल्ली। दिल्ली में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने की कोशिश में लगी कांग्रेस में कुर्सी हासिल करने की होड़ भी शुरू हो गई है। अगस्त के दूसरे सप्ताह से संगठनात्मक चुनाव शुरू हो जाएगा। इसे ध्यान में रखकर कार्यकर्ताओं ने पार्टी के बड़े नेताओं के चक्कर लगाने शुरू कर दिए हैं जिससे कि उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण ओहदा मिल सके।
सबसे पहले बूथ स्तर और उसके बाद ब्लॉक अध्यक्षों के चुनाव होने हैं। इसके लिए दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन के समर्थक और उनके विरोधी गुट के नेता अपने समर्थकों को बूथ कमेटी से लेकर ब्लॉक की टीम में स्थान दिलाने की कोशिश में जुटे हुए हैं।
संगठनात्मक चुनाव पर है कार्यकर्ताओं का ध्यान
दिल्ली नगर निगम चुनाव में मिली हार से निराश कार्यकर्ताओं का ध्यान इस समय संगठनात्मक चुनाव पर है। पार्टी के पदाधिकारियों का चुनाव शुरू होने से पहले सदस्यों की सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा। दिल्ली में लगभग पांच लाख लोगों ने कांग्रेस की सदस्यता हासिल करने के लिए आवेदन किया है। इन आवेदनों पर कार्यकर्ताओं की आपत्ति व सुझाव के अनुसार इसमें सशोधन करने के बाद छह अगस्त को सदस्यों की फाइनल सूची प्रकाशित होगी। इसके बाद बूथ कमेटी का चुनाव शुरू होगा। सात अगस्त से 20 अगस्त तक सभी बूथ कमेटियों के अध्यक्ष और ब्लॉक सदस्यों का चुनाव कर लिया जाएगा।
संगठनात्मक चुनाव का दूसरा चरण 21 अगस्त से चार सितंबर तक चलेगा। इसमे ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और कोषाध्यक्ष का चुनाव होगा। तीसरे चरण में पांच सितंबर से 15 सितंबर तक जिला अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व कोषाध्यक्ष चुने जाएंगे।
चौथे चरण में 16 सितबर से 15 अक्टूबर तक प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इसमें अध्यक्ष के साथ ही उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष और प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यकारिणी और अखिल भारतीय कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए सदस्य का चुनाव होगा। इन पदों पर सभी बड़े नेताओं की नजर है।
आपस में भिड़ गए नेता
दरअसल बूथ कमेटियों व ब्लॉक स्तरीय चुनावों में जीत के आधार पर ही जिलों व प्रदेश अध्यक्ष तय होंगे। इसलिए प्रदेश के सभी बड़े नेता अपने लोगों को बूथ कमेटी व ब्लॉक में जगह दिलाना चाहते हैं जिसे लेकर गुटबाजी भी तेज हो गई है। संगठनात्मक चुनाव के लिए होने वाली बैठकों में भी इसकी झलक देखने को मिल रही है। पिछले दिनो तिलक नगर में हुई बैठक में नेता आपस में भिड़ गए थे।
संगठनात्मक चुनाव निष्पक्ष तरीके से हो इसके लिए राष्ट्रीय नेतृत्व ने महाराष्ट्र के कांग्रेस नेता उल्लास पाटिल को प्रदेश चुनाव अधिकारी और मध्य प्रदेश के मनोज चौहान को सहायक प्रदेश चुनाव अधिकारी बनाया है। इसके साथ ही प्रत्येक संगठनात्मक जिले में भी दूसरे राज्यों के नेताओं को जिला चुनाव अधिकारी बनाकर भेजा गया है।