नई दिल्ली। मरणोपरांत वीर चक्र प्राप्त कैप्टन पृथ्वी सिंह डागर की याद में प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले शहीदी दिवस पर रविवार को काफी संख्या में लोग जाफरपुर स्थित रावता मोड़ पर जुटे। भारत चीन सीमा स्थित नाथुला दर्रा पर चीनी सेना के जवानों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए इस महान शख्स को श्रद्धांजलि देते हुए पहली बटालियन एनसीसी के बच्चों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इस अवसर पर विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह भी उपस्थित थे। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि शहीद की शहादत को याद रखने का इससे अच्छा तरीका कोई हो ही नहीं सकता। शहीदों को स्मरण करने का यदि ऐसा तरीका सभी अपनाएं तो इससे देशभक्ति की लहर पैदा होगी जो युवाओं के लिए प्रेरणा का कार्य करेगा। कार्यक्रम के दौरान कैप्टन पृथ्वी सिंह डागर की कांस्य प्रतिमा का भी अनावरण किया गया।
इस दौरान देशभक्ति से ओतप्रोत गीत गाए गए। इस अवसर पर कर्नल अत्तर सिंह भी उपस्थित थे जो कैप्टन डागर के साथ सेना के उस दल के सदस्य थे जिन्हें नाथुला बॉर्डर पर नियुक्त किया गया था। इनके अलावा कर्नल एनसी गुप्ता भी उपस्थित थे, जो उस समय सिग्नल ऑफिसर के पद पर नाथुला बॉर्डर पर तैनात थे। अपने संस्मरणों को याद करते हुए उन्होंने कहा कि नाथुला पर कैप्टन पृथ्वी सिंह डागर ने जिस अनुकरणीय साहस के साथ अपनी वीरता का परिचय दिया, वह मिसाल बन गई। देशवासियों को चाहिए कि वे शहीदों के जीवन से हमेशा प्रेरणा लें और अच्छे कार्य करें। कार्यक्रम में मेजर चंद्रशेखरन भी मौजूद रहे, जो कि नाथूला में उस वक्त तैनात थे। कार्यक्रम के आयोजक व कैप्टन पृथ्वी सिंह डागर के भतीजे विजय कुमार डागर ने बताया कि यह स्वर्ण जयंती शहीदी दिवस है। इस अवसर पर महापौर कमलजीत सहरावत, सतपाल खैरवाल, सतपाल मलिक, सुमनलता डागर, होशियार सिंह डागर, कुलदीप सिंह डागर सहित अनेक लोग उपस्थित थे।
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कैप्टन पृथ्वी सिंह डागर ने अपने चार साल के सेवा काल में तीन लड़ाइयों में अपनी वीरता और शौर्य का परिचय दिया। 11 सितंबर 1967 में कैप्टन पृथ्वी सिंह डागर ने सिक्किम स्थित नाथुला बॉर्डर पर तारों की बाड़ लगाते हुए अपने प्राणों की परवाह न करते हुए वीरता से युद्ध कौशल का परिचय दिया एवं वीरगति को प्राप्त हुए। भारत सरकार ने उनके इस बलिदान के लिए वीरचक्र मरणोपरांत प्रदान किया।