निगम दिवालिया होने के कगार पर: मुकेश गोयल

नई दिल्ली। सराय पीपल थला वार्ड से पार्षद और निगम में कांग्रेस दल के नेता मुकेश गोयल का कहना है कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार के सौतले व्यवहार और उत्तरी दिल्ली नगर निगम में सत्तारूढ़ भाजपा की गलत नीतियों के कारण आज नगर निगम दिवालिया होने की कगार पर है। वित्तीय संकट के चलते जहां निगम के पास अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी धन नहीं है, वहीं निगम की विकास योजनाएं धन के अभाव में रुकी पड़ी हैं। पिछले कुछ वर्षों में सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को उनकी सेवानिवृत्ति के लाभों का भुगतान तक नहीं हो पा रहा है।

गोयल का कहना है कि वर्तमान में निगम की आर्थिक स्थिति काफी बद्दतर हो चुकी है। आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच चल रही राजनीतिक लड़ाई का खामियाजा नगर निगम को भुगतना पड़ रहा है। केजरीवाल सरकार द्वारा निगम को उसके हिस्से की राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है, जिसके चलते निगम की वित्तीय व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ी हुई है। निगम को जो अपने स्त्रोतों से आय होती है, उससे कर्मचारियों को वेतन का भुगतान करना तक मुश्किल है। गोयल के मुताबिक, निगम की दयनीय वित्तीय स्थिति के चलते कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा, कर्मचारियों को अभी तक सातवें वेतन आयोग की बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया है। सेवानिवृत्त कर्मियों को उनके बकाया ऐरियर (जीपीएफ,ग्रेच्युटी, लीव एण्ड कैशमेन्ट), नॉन मैट्रिक फंड यहां तक की पेंशन भोगियों को नियमित रूप से पेंशन नहीं मिल रही। गोयल ने कहा कि वर्ष 1998 के बाद नियुक्त दैनिक वेतन सफाई कर्मचारियों और वर्ष 2003 के बाद से लगे अन्य दैनिक वेतन चतुर्थ कर्मचारियों को अभी तक नियमित नहीं किया गया है, जिसके कारण कर्मचारियों में जबरदस्त असंतोष और आक्रोश है। कर्मचारी कभी भी हड़ताल पर जा सकते हैं। आर्थिक संकट के चलते निगम के ठेकेदारों ने काम करना तक बंद कर दिया है पिछले दो-ढाई सालों से उनके द्वारा किए कार्यों के बिलों का भुगतान नहीं किया गया है क्योंकि निगम पर ठेकेदारों का हजारों करोड़ रुपये का बकाया है। भुगतान न होने के कारण ठेकेदारों ने निगम के कार्यो संबंधी टेण्डर लेने तक बंद कर दिए हैं, जिससे निगम वार्डो में विकास कार्य रुक गए हैं। नगर निगम के गठन से ही दिल्ली में वरिष्ठ नागरिकों, अनाथों तथा विधवाओं आदि को पार्षदों की सिफारिश से पेंशन दी जा रही थी वित्तीय संकट के चलते निगम प्रशासन की ओर से दी जाने वाली इस सुविधा को अचानक बंद कर दिया गया है। पेंशन न मिलने से हजारों बेसहारा लोग जो केवल इसी पर आश्रित थे अब वे मांग कर खाने को मजबूर हैं।

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