नई दिल्ली/ब्यूरो। दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा गठित विशेषज्ञों के पैनल ने राजधानी में अवैध निर्माण के लिए संबंधित विभागों के अधिकारियों को जिम्मेदार बताया है। पैनल ने कहा है कि जिन अधिकारियों पर कानून को लागू करने की जिम्मेदारी है, वही अवैध निर्माण को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके चलते 10 प्रतीशत लोग अमानवीय स्थिति में रहने को मजबूर हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय की कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए पैनल ने कहा कि बिना अधिकारियों और बिल्डरों की मिलीभगत के राजधानी में अवैध निर्माण नहीं हो सकता। स्थिति को ठीक करने के लिए जरूरी है कि जो भी मकान नियोजित तरीके से बने 10 वर्ष तक उसकी जिम्मेदारी इंजीनियर, वास्तुकार और मालिक पर तय की जाए। वहीं, अनियोजित निर्माण की स्थिति में मकान मालिक की जिम्मेदारी तय की जाए।
अपनी रिपोर्ट में पैनल ने रिहायशी इलाकों में निर्माण योजना पर कहा है कि कॉलोनी का पूरा प्लान आरडब्ल्यूए के पास होना चाहिए। साथ ही निगमों की वेबसाइट पर भी यह उपलब्ध होना चाहिए। इसमें भूमि के हर टुकड़े की मैपिंग होनी चाहिए। पैनल ने रिपोर्ट में पार्किंग समस्या का भी जिक्र किया है।