नई दिल्ली। प्रशासनिक अधिकारियों को लेकर दिल्ली में सियासत तेज हो गई है। विपक्ष आरोप लगा रहा है कि दिल्ली सरकार अधिकारियों को असंवैधानिक काम करने का दबाव डालती है। इससे इन्कार करने वाले अधिकारियों को प्रताड़ित किया जा रहा है।
आइएएस अधिकारियों के खिलाफ मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की टिप्पणी से भी विपक्ष नाराज है। केजरीवाल ने कहा था कि 90 फीसद आइएएस अधिकारी काम नहीं करते हैं और वे विकास कार्यों से जुड़ी फाइलों को बाधित करते हैं। भाजपा ने इसे अधिकारियों का मनोबल गिराने वाला बयान बताया है।
दिल्ली का विकास बाधित हो रहा है
दिल्ली विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता का कहना है कि अपने नकारात्मक सोच और अविश्वास के कारण मुख्यमंत्री अपने वरिष्ठ अधिकारियों से काम लेने में असफल साबित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार में काम कर रहे सभी अधिकारी कई राज्यों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा चुके हैं, लेकिन यहां इन्हें काम नहीं करने दिया जा रहा है। इससे दिल्ली का विकास बाधित हो रहा है। अधिकारियों के साथ दिल्ली सरकार के मतभेद पर दिल्ली हाई कोर्ट ने भी चिंता जताई है।
गुप्ता ने कहा कि दिल्ली विधानसभा ने विभाग संबंधी मामलों के लिए स्थायी समिति का गठन किया है। आरोप है कि समिति का गठन अधिकारियों को प्रताड़ित करने के लिए किया गया है। भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने भी इन कमेटियों की आलोचना की है।
केजरीवाल सरकार का रवैया अविश्वास भरा
भाजपा का कहना है कि अधिकारियों के प्रति केजरीवाल सरकार का रवैया शुरू से ही अविश्वास भरा रहा है। सरकार के रवैये से नाराज 45 आइएएस और दानिक्स अधिकारियों ने छुट्टी पर जाने के लिए प्रार्थना पत्र दे दिया था। इस तरह की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है। दिल्ली के विकास के लिए जरूरी है कि सरकार अधिकारियों पर विश्वास करते हुए उन्हें काम करने के लिए प्रोत्साहित करे।