नई दिल्ली। राजधानी में बढ़ते अवैध निर्माण के लिए हाई कोर्ट ने नगर निगमों को आड़े हाथों लिया। कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने निरीक्षण में पाया कि राजधानी में होने वाले अवैध निर्माण के लिए नगर निगम जिम्मेदार हैं और स्थिति यहां तक पहुंच गई है कि इस पर कुछ नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने नगर निगम के अधीन आने वाली सभी संपत्तियों, अब तक पास किए गए नक्शों और निर्माण कार्य पूरा होने के बाद दिए गए प्रमाण पत्रों की जानकारी देने का आदेश दिया।
कोर्ट ने पूछा कि क्या पूर्वी दिल्ली में किए गए सभी अवैध निर्माण गिराए जा सकते हैं। उक्त इलाका सिस्मिक जोन में आता है और इससे हजारों लोगों की जिंदगी प्रभावित हो सकती है। कोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि जिम्मेदार संस्थाएं अवैध निर्माण के लिए कोई कार्रवाई नहीं कर रही हैं। कोर्ट ने तीनों नगर निगमों को आदेश दिया कि वे 20 फरवरी 2018 तक पूरी जानकारी उपलब्ध कराएं।
अगले अंक में विस्तार से पढ़ें….
- केशवपुरम जोन के रानीबाग वार्ड में मकान नं. 2125, 2126, 2127 भ्रष्ट जेई और एई के मिलीभगत से अवैध निर्माण जारी
- रामपुरा वार्ड : राजा पार्क में मकान नं. 3535/1 जेई पीसी मीणा का चला हथौड़ा
- कोहाट वार्ड : भ्रष्ट निगमकर्मी जगमोहन मीणा व आशिश शर्मा के मिलीभगत से मकान नं. 3417 व 3386 में अवैध निर्माण हो रहा है।