नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के वर्ष 2018-19 के बजट प्रस्ताव में निगमायुक्त निगम के खराब आर्थिक हालत के चलते नई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा का प्रस्ताव करने से बचते दिखाई दिए। आयुक्त ने पूरे बजट भाषण में निगम की आर्थिक हालत सुधारने पर जोर दिया। यही वजह रही कि उन्होंने कर्मचारियों को अधिक क्षमता से कार्य करने और अतिरिक्त कर्मियों की मांग कम से कम रखने की नसीहत तक दे दी।
आयुक्त ने बजट भाषण की शुरुआत ही निगम की खराब आर्थिक स्थिति से की। उन्होंने निगम की आय और व्यय का विवरण दिया। आयुक्त ने उन योजनाओं को पूरा करने पर जोर दिया, जिससे या तो निगम की आय बढ़ेगी या फिर पुरानी योजनाएं पूरी होंगी। इसलिए उन्होंने रानी झांसी फ्लाईओवर को इस वित्त वर्ष में पूरा करने की बात कही। साथ ही संपत्तिकर में वृद्धि के लिए चली आ रही यूपिक प्रणाली (अनूठा संपत्ति पहचान कोड) के जरिये इससे ज्यादा से ज्यादा संपत्तियों को इस दायरे में लाने की बात कही। आयुक्त ने कहा कि इसके लिए आठ लाख संपत्तियों का सर्वे पूरा हो चुका है। इसमें सवा दो लाख यूपिक कार्ड बांट दिए गए और इतने ही बांटे जाने की प्रक्रिया में हैं। आयुक्त ने कहा कि संपत्तिकर के लिए निगम विशेष पोर्टल भी बनाएगा। उन्होंने निगम की संपत्तियों को साफ रखने के लिए विशेष पोस्टर वॉल बनाने का प्रस्ताव दिया। कल्याणकारी योजनाओं में पार्किंग को लेकर भवन निर्माण में वे पुरानी योजनाओं को पूरा करने पर जोर देते दिखाई दिए। इसमें उन्होंने दिल्ली के विभिन्न इलाकों में स्टैक पार्किग और आय बढ़ाने के लिए संपत्तियों के निर्माण की योजनाओं को दोहराया।
संपत्तिकर में संशोधन की है उम्मीद
बजट प्रस्ताव में बढ़ाए गए संपत्तिकरों की दरों में संशोधन की उम्मीद है। इसके सीधे संकेत स्थायी समिति के अध्यक्ष तिलक राज कटारिया ने दिए। उन्होंने कहा कि उनकी कर बढ़ाने की कोई मानसिकता नहीं है, लेकिन वे स्थायी समिति के सदस्यों के साथ बैठकर इस पर विचार-विमर्श करेंगे। इसके बाद आखिरी फैसला लिया जाएगा। हालांकि सूत्रों का कहना है कि स्थायी समिति और सदन में भाजपा संपत्ति करों की दरों में प्रस्तावित वृद्धि को संशोधित कर सकती है। इसमें एच, जी और एफ श्रेणी की आवासीय संपत्तियों को राहत देने का प्रयास किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा निगमायुक्त की ओर से प्रस्तावित किए गए सुधार और प्रोफेशनल टैक्स के भी समर्थन में भी नजर नहीं आ रही है।