हाल में एक ऐसे गिरोह का खुलासा हुआ जो युवा लड़कियों की तस्करी करता था। कई बार गुस्से में लड़कियों को कुछ कह दिया जाता है, कभी परीक्षा में कम नंबर के कारण ता कभी अन्य कारण से। ऐसे में युवा लड़कियां अपने माता-पिता से नाराज हो जाती हैं। इसी का फायदा यह गिरोह उठाता था। इस रैकेट में ऐसी युवा लड़कियों को निशाना बनाया जाता था। जो अपने माता-पिता से नाराज रहती थीं। वे अपने दम पर कुछ कर गुजरने की चाहत रखती थीं। गिरोह के लोग इन युवा लड़कियों को नौकरी और अच्छे लड़के से शादी कराने का झांसा देकर दिल्ली ले आते थे। फिर इन्हें हरियाणा में 80 हजार से एक लाख रुपए में बेच दिया जाता था यह कहकर कि कुछ दिन रह लो, फिर ले जाएंगे। ये युवतियां ज्यादातर गरीब घर की होती थीं और अपने माता-पिता से किसी न किसी बात पर नाराज रहती थीं। इन युवा लड़कियों को न सिर्फ भूखा रखा जाता था बल्कि इनके साथ मारपीट भी की जाती थी। आए दिन अखबारों और दीवारों पर बेटियों की गुमशुदगी की सूचना इस बात की पुष्टि करती नजर आती है कि किशोर और युवा होती लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं। मानव तस्करी का मामला हमारे देश में नया नहीं है। आए दिन हमारे देश की बेटियों के साथ ऐसे मामले देखने को मिलते रहते हैं। कम पढ़ी-लिखी लड़कियों को नौकरी और अच्छी कमाई का झांसा देकर बहला-फुसला कर अगवा कर लिया जाता है। फिर शुरू होता है उनका शारीरिक व मानसिक शोषण। मानव तस्करी को पूरे विश्व में तीसरे बड़े अपराध के रूप में जाना जाता है। इस जाल में फंसी ज्यादातर लड़कियां पश्चिम बंगाल से होती हैं। जिन्हें दिल्ली लाया जाता हैं। फिर शुरू होता है उन्हें खरीदने-बचने का खेल। माता-पिता और अपनों को छोड़ कर आई इन लड़कियों को अपराधियों के चंगुल से बाहर निकलने का भी कोई रास्ता नहीं सूझता। ऐसे में इनके पास अपराधियों की बात मानने के सिवा कोई रास्ता नहीं होता।
युवा लड़कियां इस अपराध के लिए ज्यादा निशाने पर होती हैं। अगर वे गरीब परिवार से हैं, तो उनके माता-पिता के लिए भी वे एक बोझ की तरह होती हैं। दहेज की रकम न जुटा पाना उनकी मजबूरी होती है ऐसे में वे इन अपराधियों के दिए लालच में आसानी से फंस जाते हैं। वे यही सोचते हैं कि हमारी बेटियां इनके हाथों जीवन संवार सकेंगी। युवा लड़कियों की तस्करी सिर्फ उनके शारीरिक शोषण के लिए नहीं की जाती बल्कि उनकी खरीद बिक्री ऐसी जगह की जाती है जहां लड़कियों की संख्या कम हैं। वहां उनकी जबरन शादी करवाई जाती है।
देश में बढ़ रही मादा भ्रूण हत्या की वजह से कई राज्यों में लिंगानुपात बिगड़ गया है ऐसे में इन लडकियों को वहां बेचा जाता है। अपने बचाव के लिए ये लड़कियां कुछ भी नहीं कर पातीं। न तो ये घर लौटने की सोचती हैं और न ही पुलिस की मदद लेना चाहती हैं। हाल ही में एक गिरोह के खुलासे के बाद जब इन लड़कियों से बात की गई तो कोई भी कुछ बताने को तैयार नहीं थी।
इस मामले में सामाजिक जागरूकता की जरूरत है। हाल ही में सामाजिक कार्यकर्ता अदिति आनंद और लीना केजरीवाल ने मिलकर एक मुहिम शुरू की है इन युवा लड़कियों को बचाने की। हमारे देश की लचर कानून व्यवस्था के कारण राजधानी दिल्ली मानव तस्करी का मुख्य अड्डा बनता जा रही है। मेट्रो शहरों में होने वाली ये घटनाएं कम होती नहीं दिखतीं। दिल्ली के अलावा कोलकाता, बंगलुरू और चेन्नई मुख्य शहर हैं, जहां मानव तस्करी के संगीन मामले देखे जाते हैं। जरूरी है कि हम अपनी बेटियों को वही सम्मान और हक दें जो अपने बेटों को देते हैं। शिक्षा का हक बेटियों को मिलना जरूरी है। उन्हें शिक्षित किया जाए तो उन्हें सुरक्षित रखने में मदद मिलेगी।