‘जज्बा’ से लौटीं और छाईं ऐश्वर्य राय

इस सप्ताह प्रदर्शित फिल्म ‘जज्बा’ से पूर्व विश्व सुंदरी और बॉलीवुड अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन ने पांच साल बाद बड़े पर्दे पर वापसी की। वापसी के लिए ऐश्वर्या ने जिस तरह के विषय को चुना उससे साफ हुआ कि वह अब परिपक्व किरदार शायद ज्यादा निभाएं बजाय इसके कि पेड़ों के इर्दगिर्द घूमते हुए नाचे गायें। निर्देशक संजय गुप्ता की फिल्म ‘जज्बा’ दक्षिण कोरिया की सुपरहिट फिल्म ‘सेवन डेज’ की रीमेक है। संजय ने इस फिल्म को अपने उसी पुराने स्टाइल में बनाया है जिसके तहत उन्होंने ‘आतिश’, ‘कांटे’, ‘शूटआउट एट वडाला’ जैसी थ्रिलर और एक्शन से भरपूर फिल्में बनाईं। फिल्म की कहानी में हालांकि कोई नयापन नहीं है और इंटरवेल के बाद कहानी कुछ भटकी भी है लेकिन इन सब कमियों को नजरअंदाज कर दिया जाए तो फिल्म एक बार देखी जा सकती है।
फिल्म की कहानी अनुराधा वर्मा (ऐश्वर्या राय ब365826-jazbaa-ash-irrfanच्चन) के इर्दगिर्द घूमती है। वह बहुत नामी वकील है और उसे पैसों से ही मतलब है। बड़ी रकम के लिए वह किसी का भी केस लड़ सकती है भले वह खूंखार अपराधी ही क्यों नहीं हों। योहान (इरफान खान) अनुराधा का बचपन का दोस्त है। वह क्राइम ब्रांच में इंस्पेक्टर है। एक बार वह अपने ही विभाग की साजिश के तहत एक मामले में फंस जाता है तो उसके अधिकारी मामला खत्म करने के लिए उससे बड़ी रकम की मांग कर देते हैं। योहान चाहता है कि अनुराधा उसका केस लड़े लेकिन उसके पास समय ही नहीं है। इस बीच अनुराधा की बेटी सनाया (सारा अर्जुन) का अपहरण हो जाता है और अपहर्ता अनुराधा से अपने दोस्त नियाज शेख (चंदन राय सान्याल) को जेल से छुड़ाने के लिए कहता है। अनुराधा को पता चलता है कि नियाज ने एक लड़की का बलात्कार करने के बाद उसकी हत्या कर दी थी। वह उसका केस अपने हाथ में ले लेती है और अपहर्ता उस पर बारीक नजर रखने लगता है तो अनुराधा नहीं चाहती कि उसकी बेटी को छुड़ाने के लिए पुलिस कोई मदद करे दूसरी ओर योहान अनुराधा की बेटी को छुड़ाने में मदद करने का फैसला करता है।

अभिनय के मामले में इरफान खान छाए रहे। भले यह ऐश्वर्या की मुख्य भूमिका वाली फिल्म हो लेकिन इरफान के हिस्से में ऐसे जानदार संवाद आये कि वह दर्शकों की सर्वाधिक तालियों के हकदार बने। ऐश्वर्या ने भी बहुत अच्छा काम किया है। उनका अभिनय लोगों को पसंद आएगा। उनके प्रशंसकों को एक अलग ही ऐश्वर्या नजर आएंगी। जैकी श्राफ और अन्य कलाकारों का काम भी ठीकठाक रहा। फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक काफी शानदार है। गीत संगीत सामान्य है। निर्देशक के रूप में संजय क्लाइमैक्स के दौरान ज्यादा सफल नजर आये।

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