नई दिल्ली। (RK Jaiswal) रामपुरा वार्ड (नं. 62) के युवा भाजपा नेता एवं सक्रिय समाजसेवी सुनील यादव एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमति मोनिका यादव दिल्ली के केजरीवाल सरकार के एक साल के कार्यकाल से अत्यन्त खिन्न हैं। उन्होंने सरकार की निष्क्रियता, लापरवाही तथा हठधर्मिता को जनता के हितों के खिलाफ बताते हुए कहा है कि सरकार और उसके मुखिया ने विकास कार्यों के बजाए विवादों पर अधिक ध्यान दिया। चुनाव के दौरान जनता से बडे़—बड़े वादे किए थे, ईमानदारी का ढोल पीटा था और महंगाई, भाई—भतीजावाद तथा भ्रष्टाचार को समाप्त करने कासंकल्प लिया था। अब कहां गए वे संकल्प।
मिलनसार स्वभाव के तेज तर्रार भाजपा नेता सुनील यादव का कहना है कि न तो स्कूल—कॉलेज खुले और न ही अस्पताल। परिवहन व्यवस्था चरमरा गई है। ऑड—इवन स्कीम पर 15 दिन में ही करोड़ों रुपये फूंक दिए। इसमें खासकर विज्ञापन पर पैसा पानी की तरह बहाया। डीटीसी की एक भी बस नहीं खरीदी गई। दरअसल सरकार में प्रशासनिक क्षमता बिल्कुल नहीं है। मुख्यमंत्री केजरीवाल प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं इसलिए अपने पास एक भी विभाग नहीं रखा और परोक्ष रूप से मनीष सिसौदिया को दिल्ली की बागडोर थमा दी है। सरकार अपनी विफलता छुपाने के लिए प्रधानमंत्री एवं अन्य केन्द्रीय मंत्रियों पर अनर्गल आरोप लगाती रही हैं। अपना दोष दूसरों पर मढ़ने में वे माहिर हैं। ट्टआप’ के कई मंत्री एवं विधायक ट्टदागदार’ हो चुके हैं। सरकार ने इस एक साल में कोई ठोस उपलब्धि हासिल नहीं की लेकिन पोस्टरों एवं अन्य प्रचारों के जरिए ट्टलाईट’ में रहने का प्रयास किया। चारों तरफ अफरा—तफरी का माहौल है। अरविन्द केजरीवाल के कट्टर समर्थक भी उसके कार्यों से असंतुष्ट हैं और उन्हें भारी निराशा हुई है।
मोनिका यादव ने इस क्षेत्र के विधायक को अकर्मण्य बताते हुए कहा कि यदि भाजपा का विधायक होता तो इस सम्पूर्ण इलाके में विकास कार्यों की गति काफी तेज होती। भाजपा सिर्फ आश्वासन नहीं देती बल्कि काम करके दिखाती है। आज झुग्गी वाले परेशान हैं, एमसीडी कर्मचारियों का जीना मुश्किल हो गया है लेकिन केजरीवाल को पंजाब और बंगलोर से ही फुर्सत नहीं है। ऐसा लगता है कि दिल्ली में सरकार नाम की कोई चीज ही नहीं है। सिर्फ मोदी का नाम लेकर राजनीति करने वाले अरविन्द केजरीवाल की असलियत सबके सामने आ चुकी है और अब लोग उनकी बातों में नहीं आएंगे।