निगम चुनावों में निर्दलीय ताल ठोक सकते है पचास से ज्यादा बीजेपी पार्षद

नई दिल्ली। टिकट कटने के विरोध में भाजपा के पचास से ज्यादा वर्तमान पार्षद निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं। उम्मीदवारों की सूची जारी होने के तुरंत बाद वर्तमान पार्षदों द्वारा निर्दलीय नामांकन भरने का क्रम शुरू हो सकता है। सूत्रों की मानें तो पार्षदों की रणनीति निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीतने के बाद दोबारा भाजपा में शामिल होने की है। अप्रैल में होने जा रहे दिल्ली के नगर निगम चुनावों के लिए नामांकन शुरू हुए दो दिन बीत चुके हैं। लेकिन, न तो तीनों निगमों की सत्ता में काबिज भाजपा ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी की है और न ही तीनों निगमों में विपक्षी कांग्रेस पार्टी ने। निगम चुनावों की घोषणा के साथ ही भाजपा ने अपने सभी 153 वर्तमान विधायकों के टिकट काटने की बात कहकर चुनावी माहौल में धमाका कर दिया। नए चेहरों को तवज्जो देने के नाम पर भाजपा ने कहा है कि वर्तमान पार्षदों और उनके परिजनों को भी टिकट नहीं दिया जाएगा। इसके बाद से ही वर्तमान भाजपा पार्षदों में बेचौनी देखी जा रही है। हाल ही में पार्षदों ने निगम मुख्यालय सिविक सेंटर में भी बैठक की थी। इसमें सौ से ज्यादा पार्षद शामिल हुए थे। इसके बाद पार्षदों ने सांसदों और पार्टी के बडे़ नेताओं से भी मुलाकात की। लेकिन, कहीं से भी इनका टिकट बरकरार रखने का आश्वासन नहीं मिला है। इसके बाद से भाजपा पार्षद अन्य विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। भाजपा के एक वरिष्ठ पार्षद ने बताया कि लोग आरोप लगा रहे हैं कि भ्रष्टाचार की वजह से उनके टिकट काटे गए हैं। पार्षद अपने ऊपर यह कलंक लेकर नहीं जी सकते हैं। इसलिए अन्य विकल्पों पर तेजी से विचार किया जा रहा है। वहीं, निगम में कई अलग-अलग पदों पर रह चुके अन्य भाजपा पार्षद कहते हैं कि क्षेत्र के लोग भी उनकी उम्मीदवारी चाहते हैं। लोग कह रहे हैं कि पार्टी टिकट दे या नहीं, उन्हें चुनाव लड़ना ही है। ऐसे में ज्यादातर पार्षद निर्दलीय चुनाव में उतरने की रणनीति बना रहे हैं। एक पार्षद ने बताया कि पचास साल की उम्र में राजनीति से संन्यास कैसे लिया जा सकता है।

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