नई दिल्ली। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इण्डिया ट्रेडर्स (कैट) ने पिछले दिनों वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के कुछ पहलुओं पर ध्यान आकृष्ट किया। कैट ने एक प्रेस नोट के जरिये कुछ बातें कहनी चाही हैं। इसके अन्तर्गत कैट ने केन्द्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया है कि जीएसटी को जुलाई की पहली तारीख से लागू कर देना चाहिए। लेकिन 31 जुलाई 2018 तक की अवधि को ट्रायल पीरियड घोषित किया जाय, जिसके तहत छोटी—मोटी गलतियों पर किसी भी व्यापारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो और इस अवधि के दौरान आने वाली परेशानियों का निराकरण करते हुए जीएसटी को ज्यादा से ज्यादा पालन करने वाला ढांचा बनाया जाए।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इण्डिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी. सी. भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने जीएसटी के बारे में कहा कि जीएसटी काउंसिल द्वारा जीएसटी की विभिन्न दरों में डाली गयी वस्तुओं की सूची मोटे तौर पर लगभग ठीक है, लेकिन आम लोगों से जुड़ी अनेक महत्वपूर्ण वस्तुआें को उच्च कर की श्रेणी में डालने से कीमतों का ढांचा गड़बड़ा जाने की आशंका है और इस वजह से कैट ने इस सूची का व्यापक अध्ययन करते हुए केन्द्रीय वित्त मंत्री अरूण जेटली को एक ज्ञापन देने का निर्णय लिया है, जिसमें जनसाधारण से जुड़ी वस्तुओं को निम्न कर की दरों में डाले जाने की सिफारिश की जाएगी। कैट द्वारा केन्द्रीय वित्त मंत्री से आग्रह किया जाएगा कि कर स्लैब में डाली गयी वस्तुओं की सूची पर विचार करने के लिए सरकारी अधिकारियों और व्यापार व उघोग के प्रतिनिधियों की एक कमेटी का गठन किया जाए, जिसमे आपसी सहमति के आधार पर सूची को अंतिम रूप दिया जाय, ताकि किसी को भी इस नये कर ढांचे को अपनाने में परेशानी न हो।
कैट के अनुसार जीएसटी काउंसिल द्वारा जारी सूची को देखने से पता चलता है कि कुछ वस्तुएं जिन्हें 28 प्रतिशत के कर स्लैब में रखा गया है, उन पर दोबारा विचार करने की जरूरत है ताकि छोटे व्यापारियों और एमएसएमई सेक्टर के व्यापार पर विपरीत असर न पड़े। कैट के पदाधिकारियों ने उदाहरण देते हुए कहा कि 18 प्रतिशत कर श्रेणी में रखे गये आम लोगों के उपयोग वाली वस्तुओं अचार, सॉस, इंस्टेंट मिक्सर सहित फूड प्रोसेसिंग के अनेक उत्पादों पर उपेक्षाकृत कम कर होना चाहिए। वहीं उन्होंने सीमेंट, मार्बल, पेंट, प्लाइवुड, बिल्डिंग हार्डवेयर के उत्पादों पर निर्धारित 28 प्रतिशत की कर श्रेणी को हाउसिंग सेक्टर एवं रियल एस्टेट व इंप्रQास्ट्रक्चर के विकास में बाधक बताते हुए इस पर भी विचार करने की बात कही। उन्होंने ऑटो स्पेयर पाटर््स पर लगाये गये 28 प्रतिशत के कर पर भी आपत्ति जतायी और इसे पांच प्रतिशत कर के स्लैब डालने की वकालत की।
इसके अलावा भरतिया एवं खंडेलवाल ने जीएसटी के अन्तर्गत ब्रांडेड शब्द के स्पष्टीकरण की मांग भी सरकार से की।