नई दिल्ली (संवाददाता)। भारतीय जनता पार्टी दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष मनोज तिवारी व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल की आपसी खींचतान मेें आखिरकार मंत्री जी के चहेते जयप्रकाश जेपी को बलि का बकरा बनना ही पड़ा। लगभग एक महीने तक चली लंबी खींचतान के बावजूद जयप्रकाश जेपी नार्थ एमसीडी के नेता सदन के पद पर पर काबिज नहीं हो सके। राजनीति के अखाड़े में इसे प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी की जीत माना जा रहा है।
दूसरी तरफ जयप्रकाश जेपी ने नेता सदन का पद पाने के लिए हरसंभव प्रयास किये, मगर वह सफल नहीं हो सके। प्रदेश भाजपा के सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय मंत्री के निगम पार्षदों को आमंत्रित किये जाने के कार्यक्रम के संबंध में प्रदेश अध्यक्ष ने अपनी कोर टीम से व्यक्तिगत रूप से विमर्श किया था। इसके विपरीत प्रदेश उपाध्यक्ष पद पर होने के बावजूद यह महाशय प्रदेश अध्यक्ष की राय से इत्तेफाक न रखते हुए मंत्री जी के कार्यक्रम शानों—शौकत के साथ पहुंच गये। हालांकि पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने प्रदेश अध्यक्ष व केंद्रीय मंत्री के बीच सुलह के जबरदस्त प्रयास किये। उनके संबंध तो सुधर गये, मगर जपप्रकाश बलि का बकरा बन गये।
नेताजी की चाटुकारिता की आदत उन्हें ही भारी पड़ गयी। दूसरी तरफ नेताजी के वार्ड के कार्यकर्ताओं में नेताजी की कथनी व करनी को लेकर जबरदस्त चर्चाओं का जोर है। कार्यकर्ताओं का मानना है कि प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर आसीन नेताजी ने निगम का चुनाव लड़कर बेवजह अपनी फजीहत करा ली। बेहतर होता कि वह किसी कार्यकर्ता को चुनाव लड़ाते तो उनके राजनैतिक कद में इजाफा अवश्य होता। अब केवल निगम पार्षद बनकर क्या करेंगे नेताजी?